iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार ने 20 जुलाई 2023 को गैर बासमती संवर्ग के सफेद (कच्चे) चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी जिससे अन्य देशों के साथ नेपाल पर भी गंभीर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका थी।
नेपाल के प्रधानमंत्री ने 5 अगस्त को भारतीय प्रधानमंत्री से इस सम्बन्ध में टेलीफोन पर बातचीत करके नेपाल को प्रतिबंध के दायरे से बाहर रखने का आग्रह किया।
समझा जाता है कि भारतीय प्रधानमंत्री ने इस आग्रह को स्वीकार करते हुए आश्वस्त किया कि नेपाल को भारत से चावल का निर्यात जारी रहेगा। ज्ञात हो कि नेपाल भारत का निकटतम उत्तरी पड़ोसी देश है और दोनों देशों के बीच काफी अच्छे सम्बन्ध हैं। नेपाल अधिकांश खाद्यान्न के लिए भारत पर ही निर्भर रहता है।
नेपाल के प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा इस सम्बन्ध में एक बयान जारी किया गया है जिसमें भारतीय प्रधानमंत्री के आश्वासन पर प्रसन्नता व्यक्त की गई है।
बयान में कहा गया है कि नेपाल को भारत से चावल का निर्यात पहले की तरह होता रहेगा। भारत ने यह आश्वासन भी दिया है कि नेपाल में अन्य आवश्यक वस्तुओं एवं खाद्य सामग्रियों का अभाव नहीं होने दिया जाएगा।
दरअसल भारत से सफेद चावल का निर्यात रुकने का असर नेपाल पर दिखाई पड़ने लगा था और वहां इसकी कीमतों में तेजी आने लगी थी। आर्थिक दृष्टि से कमजोर देश- नेपाल में सामान्य तौर पर तीन महीने की घरेलू मांग एवं जरूरत को पूरा करने लायक धान-चावल का सरकारी स्टॉक रखा जाता है।
लेकिन भारतीय निर्यात प्रतिबंध के बाद वहां कच्चे चावल की जमाखोरी एवं कालाबाजारी शुरू हो गई जिससे कीमतों में तेजी आने लगी। इसे देखते हुए नेपाल सरकार ने भारत से 10 लाख टन धान तथा 1 लाख टन चावल खरीदने का निर्णय लिया।
उल्लेखनीय है कि नेपाल ऐसे गिने चुने देशों में शामिल है जहां भारत से धान का निर्यात होता है। टेलीफोन वार्ता के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री ने तत्काल नेपाल को चावल निर्यात के प्रतिबंध से अलग रखने और निर्यात प्रक्रिया को सरल-सहज बनाने का ठोस आश्वासन दिया। इससे नेपाल की सरकार और उसके आम उपभोक्ताओं को भारी राहत मिलने की उम्मीद है।