iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि शीर्ष उद्योग संस्था- इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने अपने आरंभिक अनुमान में चीनी का घरेलू उत्पादन 2022-23 के मौजूदा मार्केटिंग सीजन के 328 लाख टन से 11 लाख टन घटकर 2023-24 के मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) में 317 लाख टन पर सिमटने की संभावना व्यक्त की है लेकिन केन्द्र सरकार का मानना है कि अगले सीजन का उत्पादन 325 लाख टन या इससे अधिक हो सकता है।
चूंकि चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध लगा हुआ है इसलिए अगले सीजन का कुल उत्पादन घरेलू खपत के लिए उपलब्ध रहेगा। सरकार कम से कम 31 मार्च 2024 तक चीनी के निर्यात की अनुमति देने के पक्ष में नहीं है।
चीनी की वार्षिक घरेलू मांग एवं खपत 275 लाख टन के आसपास आंकी जा रही है जबकि इसका उत्पादन 325 लाख टन यानी खपत से 50 लाख टन अधिक हो सकता है। इससे घरेलू प्रभाग में चीनी की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों को नियंत्रित करने में सहायता मिलेगी।
चूंकि देश में जल्दी ही त्यौहारी सीजन शुरू होने वाला है और उसके बाद राजस्थान, मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में विधानसभा का चुनाव होना है इसलिए सरकार चीनी सहित अन्य खाद्य सामग्रियों की कीमतों को बढ़ने से रोकने का हर संभव प्रयास करेगी।
31 मार्च 2024 तक चीनी उत्पादन की स्पष्ट तस्वीर सामने आ जाएगी और उसके बाद इसका निर्यात खोलने या बंद रखने पर विचार किया जा सकता है।
यह तथ्य भी ध्यान देने लायक है कि वर्ष 2024 की पहली छमाही के दौरान लोकसभा के लिए आम चुनाव होने वाला है इसलिए सरकार को चीनी निर्यात पर निर्णय लेते समय काफी सतर्क रहना होगा।
गन्ना का उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष से आगे चल रहा है लेकिन इसके उत्पादन में ज्यादा बढ़ोत्तरी होना मुश्किल है। समझा जाता है कि महाराष्ट्र एवं कर्नाटक में जून के दौरान वर्षा कम होने तथा तापमान ऊंचा रहने से जब गन्ना की फसल खराब होने लगी तब किसानों ने बड़े पैमाने पर उसे काटकर पशु चारे के रूप में इसका उपयोग कर लिया।