iGrain India - बैंकॉक । थाईलैंड के वाणिज्य मंत्री ने कहा है कि सरकार घरेलू खपत एवं निर्यात मांग को पूरा करने के लिए देश में चावल का पर्याप्त उत्पादन सुनिश्चित करेगी और यह भी ध्यान में रखेगी कि घरेलू प्रभाग में इस खाद्यान्न के दाम में बहुत ज्यादा बढ़ोत्तरी न हो।
भारत सरकार द्वारा 20 जुलाई को गैर बासमती संवर्ग के कच्चे (सफेद) चावल के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध से थाईलैंड को काफी फायदा होगा क्योंकि भारत की चुनौती एवं प्रतिस्पर्धा सबसे कठिन रहती है।
भारत के बाद थाईलैंड दुनिया में चावल का दूसरा सबसे प्रमुख निर्यातक देश है। वाणिज्य मंत्री के अनुसार थाईलैंड से चावल का निर्यात शिपमेंट रोकने का कोई कारण नहीं है।
सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वर्ष के आरंभिक सात महीनों में यानी जनवरी - जुलाई 2023 के दौरान थाईलैंड से करीब 48 लाख टन चावल का निर्यात हुआ। देश से प्रत्येक माह औसतन 7-8 लाख टन चावल का शिपमेंट हुआ।
थाई राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष का कहना है कि वर्ष 2022 की पूरी अवधि (जनवरी-दिसम्बर) के दौरान थाईलैंड से कुल 77.10 लाख टन चावल का निर्यात हुआ जबकि वर्ष 2023 में यह बढ़कर 80 लाख टन से ऊपर पहुंच जाने की उम्मीद है।
कुछ जानकारों का कहना है कि भारत से सफेद चावल का निर्यात प्रतिबंधित होने के बाद थाईलैंड एवं वियतनाम के कुछ निर्यातक अब अगस्त डिलीवरी के लिए बिक्री मूल्य पर आयातकों के साथ नए सिरे से बातचीत कर रहे हैं।
वे अपने चावल का निर्यात ऑफर मूल्य बढ़ाना चाहते हैं क्योंकि अब उन पर सस्ते भारतीय चावल का कोई दबाव नहीं है और उन्हें पता है कि ऊंची कीमतों के बावजूद विदेशी आयातकों को उनसे चावल खरीदने के लिए विवश होना पड़ेगा।
पाकिस्तान और म्यांमार जैसे अन्य निर्यातक देशों में चावल का भारी-भरकम निर्यात योग्य स्टॉक उपलब्ध नहीं है क्योंकि इसके अधिकांश भाग का शिपमेंट पहले ही हो चुका है।
थाईलैंड एवं वियतनाम के निर्यातकों के बदले रुख से खासकर फिलीपींस एवं चीनी जैसे देशों को कठिनाई होगी जो वहां से भारी मात्रा में चावल मंगाता है।