iGrain India - भटिंडा । पंजाब में 2022-23 का मार्केटिंग सीजन लगभग समाप्त हो चुका है और इस सीजन के दौरान राज्य की प्रमुख थोक मंडियों में रूई की आवक बहुत कम हुई जिससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि वहां इसका उत्पादन संतोषजनक नहीं रहा।
प्राप्त आंकड़ों के अनुसार राज्य की मंडियों में 2021-22 सीजन के मुकाबले 2022-23 सीजन के दौरान महज एक-तिहाई कपास की आवक हुई। मालूम हो कि पंजाब राज्य कृषि विपणन बोर्ड राज्य की मंडियों में विभिन्न फसलों की आपूर्ति का हिसाब-किताब रखता है। इसी तरह एक व्यापारिक संस्था- इंडियन कॉटन एसोसिएशन भी रूई की आवक का रिकॉर्ड रखती है।
इन दोनों संस्थाओं का रूई आवक का कुल आंकड़ा लगभग समान है। मंत्री बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार 2022-23 के मार्केटिंग सीजन में 5 अगस्त 2023 तक पंजाब की मंडियों में करीब 8.70 लाख क्विंटल कपास की आवक हो सकी जबकि 2021-22 के सम्पूर्ण मार्केटिंग सीजन में 28.89 लाख क्विंटल की आपूर्ति हुई थी।
उधर एसोसिएशन ने मंडियों में 2.52 लाख गांठ (170 किलो प्रत्येक गांठ) कपास की आवक होने का अनुमान लगाया है जो 2021-22 सीजन की कुल आवक 7.19 लाख गांठ से बहुत कम है।
2021-22 सीजन के दौरान पंजाब में कपास का क्षेत्रफल 2.50 लाख हेक्टेयर के करीब रहा था और 2022-23 के सीजन में भी यह क्षेत्रफल उसके अत्यन्त निकट पहुंच गया था। इसके बावजूद कपास की पैदावार एवं मंडी आवक में जोरदार गिरावट आने से विश्लेषक हैरान हैं।
आमतौर पर पंजाब में कपास की आवक 31 जुलाई तक समाप्त हो जाती है और अगस्त तथा सितम्बर में इसकी नगण्य आपूर्ति होती है।
अगस्त से ही राज्य की मंडियों में नई कपास की छिटपुट आवक शुरू हो जाती है जबकि सितम्बर में इसकी रफ्तार तेज रहती है जानकरों का कहना है कि प्राकृतिक आपदाओं के साथ-साथ कीड़ों- रोगों के भयंकर प्रकोप के कारण पंजाब में कपास की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई।
इसके अलावा खराब क्वालिटी के बीज तथा उर्वरकों एवं कीटनाशक रसायनों के अभाव से भी फसल पर असर पड़ा है। 2023-24 सीजन के लिए पंजाब में कपास का उत्पादन क्षेत्र पहली बार घटकर 2 लाख हेक्टेयर से नीचे आ गया।