iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि अधिकांश विशेषज्ञ पूर्णत: आश्वस्त है कि भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच बेहतर स्थिति में रहेगी लेकिन खाद्यान्न क्षेत्र का कमजोर प्रदर्शन चिंता का कारण बन सकता है।
खाद्यान्न क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण दौर से गुजर रहा है। पहले गेहूं के घरेलू उत्पादन में गिरावट आने तथा भाव ऊपर चढ़ने के कारण सरकार को अनेक एहतियाती कदम उठाने के लिए विवश होना पड़ा और अब चावल के उत्पादन में कमी आने की आशंका व्यक्त की जा रही है।
खुदरा बाजार में इन दोनों खाद्यान्न का भाव ऊंचा हो गया है। इससे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा को भविष्य में खतरा हो सकता है और भारतीय रिजर्व बैंक को अपनी मौद्रिक नीति को टाईट रखने के लिए बाधा होना पड़ सकता है।
इसी तरह दलहनों का दाम भी काफी ऊपर हो गया है जिससे आम लोगों की कठिनाई बढ़ गई है। इसके अलावा खाद्य तेल, मसालों, फलों और सब्जियों तथा चीनी आदि के खुदरा मूल्य में भी इजाफा हो रहा है जिससे खुदरा मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर का ग्राफ ऊंचा उठ गया है। दक्षिण-पश्चिमी मानसून की बारिश अनिश्चित एवं अनियमित होने से बाजार पर गहरा मनोवैज्ञानिक दबाव पड़ रहा है।
पहले सरकार ने पूरे विश्वास से कहा था कि समय गुरजने के साथ आपूर्ति की स्थिति सुधरती जाएगी और कीमतों में नरमी आएगी। लेकिन अभी तक इसका कोई स्पष्ट संकेत सामने नहीं आया है। थोक मंडियों में गेहूं सहित अन्य खाद्य उत्पादों की सप्लाई कमजोर दिख रही है।
सरकार इसकी उपलब्धता बढ़ाने का पुरजोर प्रयास कर रही है मगर कीमतों पर कोई खास असर नहीं देखा जा रहा है। गेहूं एवं इसके उत्पादों के साथ-साथ टुकड़ी चावल का निर्यात पिछले साल से ही बंद है जबकि सरकार ने अब सफेद गैर बासमती चावल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।
खरीफ कालीन दलहन फसलों के बिजाई क्षेत्र में भारी गिरावट आ रही है जिससे इसका उत्पादन पिछले साल से भी कम हो सकता है। उत्पादक क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण टमाटर, आलू और प्याज की फसल को नुकसान होने से इसका दाम तेज हो गया है।
टमाटर का भाव तो तेजी के नए-नए रिकॉर्ड बना रहा है। गन्ना की फसल भी प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित हो रही है जिससे चीनी के दाम में तेजी-मजबूती का माहौल बनने लगा है।