iGrain India - इडुक्की । देश के सुदूर दक्षिणी राज्य एवं मसाला प्रदेश के नाम से मशहूर प्रान्त- केरल में इस वर्ष बारिश का भारी अभाव होने से इलायची की फसल बुरी तरह प्रभावित हो रही है।
मौसम विभाग के अनुसार प्रमुख उत्पादक इलाकों में इस बार सामान्य औसत के मुकाबले जून में 70 प्रतिशत, जुलाई में 25 प्रतिशत तथा अगस्त के शुरूआती 10 दिनों में करीब 40 प्रतिशत कम वर्षा हुई।
इससे पूर्व वहां मार्च-मई 2023 के दौरान मानसून-पूर्व की बारिश भी बहुत कम हुई थी जिससे इलायची की लताओं में फूल एवं दाना लगने की गति धीमी पड़ गई थी।
उत्पादकों का मानना है कि पिछले साल के मुकाबले चालू वर्ष के दौरान अभी तक की स्थिति के आधार पर इलायची के उत्पादन में 25-30 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है और दाने का आकार भी छोटा रह सकता है।
अगर अगस्त के शेष दिनों एवं सितम्बर में अच्छी बारिश हुई तो फसल को काफी राहत मिलेगी और इलायची का दाम 2000/2300 रुपए प्रति किलो के बीच स्थिर हो सकता है लेकिन यदि वर्षा का अभाव बरकरार रहा तो इसका भाव उछलकर 3000 रुपए प्रति किलो तक आसानी से पहुंच सकता है।
कीमतों में तेजी आने के कुछ और कारण भी है। पहली बात तो यह है कि जल्दी ही त्यौहारी सीजन आरंभ होने वाला है जिससे इलायची की मांग एवं खपत में बढ़ोत्तरी होगी।
दूसरा कारण यह है कि देश के अधिकांश प्रमुख खपत केन्द्रों में इलायची का अत्यन्त सीमित स्टॉक बचा हुआ है और दिसावरी व्यापारी एवं डीलर्स केरल में इसकी खरीद के लिए सक्रिय हो गए हैं। आगे दाम बढ़ने की संभावना को देखते हुए स्थानीय व्यापारी / स्टॉकिस्ट भी लिवाली में काफी दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
केरल का इडुक्की जिला छोटी इलायची के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। हालांकि वहां इस सुगंधित मसाला फसल की पहले दौर की तुड़ाई-तैयारी जुलाई के अंत में पूरी हो गई और अब दूसरे चरण की तुड़ाई-तैयारी शुरू होने वाली है परन्तु नीलामी केन्द्रों में कुल आवक बहुत कम होने तथा मांग मजबूत रहने से कीमतों में तेजी का माहौल बना हुआ है।
भारत से खाड़ी क्षेत्र के देशों में बड़े पैमाने पर इलायची का निर्यात होता है मगर वहां भी स्टॉक बहुत कम बताया जा रहा है इसलिए निर्यातकों की सक्रियता भी बढ़ने की उम्मीद है।
खरीदार छोटी इलायची की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं। समझा जाता है कि पहले दौर की तुड़ाई-तैयारी के दौरान इलायची का सीमित उत्पादन हुआ इसलिए अब दूसरे दौर पर सबका ध्यान केन्द्रित है।
यदि घरेलू उत्पादन में ज्यादा गिरावट आई तो ग्वाटेमाला से प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से इसका आयात बढ़ सकता है। स्वयं भारतीय बाजार में इलायची की भारी खपत होती है और अब इसकी खपत का पीक सीजन भी आरंभ होने वाला है जो नवम्बर-दिसम्बर तक बरकरार रहेगा।