iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार का कहना है कि 2021-22 के मार्केटिंग सीजन (नवम्बर-अक्टूबर) के दौरान देश में खाद्य तेलों का आयात बढ़कर 142 लाख टन के करीब पहुंच गया जो 2002-03 में हुए आयात 43.65 लाख टन की तुलना में बहुत अधिक है।
केन्द्रीय खाद्य, उपभोक्ता मामले एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री के अनुसार घरेलू प्रभाग में तिलहन फसलों के उत्पादन में सीमित बढ़ोत्तरी हुई है जबकि खाद्य तेलों की मांग एवं खपत में जोरदार इजाफा हुआ है।
चूंकि उत्पादन की तुलना में खपत की गति ज्यादा तेज है इसलिए विदेशी खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता काफी बढ़ गई है। जनसंख्या में वृद्धि एवं लोगों के जीवन स्तर में सुधार आने से खाद्य तेलों की खपत बढ़ रही है।
देश में खाद्य तेलों की मांग प्रतिवर्ष 10 लाख टन तक बढ़ जाती है। स्वदेशी स्रोतों से खाद्य तेलों का उत्पादन इतना नहीं होता है कि वह घरेलू मांग एवं जरूरत को पूरा कर सके। खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता अब भी 55 प्रतिशत के करीब है।
खाद्य राज्य मंत्री के मुताबिक 2021-22 के मार्केटिंग सीजन के दौरान देश में 116.50 लाख टन खाद्य तेलों का उत्पादन हुआ जबकि इसका आयात 141.93 लाख टन दर्ज किया गया।
इस अवधि में खाद्य तेलों की कुल उपलब्धता बढ़कर 258.43 लाख टन पर पहुंच गई। भारत में पाम तेल का आयात इंडोनेशिया, मलेशिया एवं थाईलैंड से, सोयाबीन तेल का आयात अर्जेन्टीना, ब्राजील एवं अमरीका से तथा सूरजमुखी तेल का आयात यूक्रेन, रूस एवं अर्जेन्टीना से किया जाता है।
केन्द्र सरकार तिलहन फसलों का घरेलू उत्पादन बढ़ाकर विदेशी खाद्य तेलों का आयात पर निर्भरता घटाने का पुरजोर प्रयास कर रही है मगर मांग एवं आपूर्ति के बीच इतना विशाल अंतर बन गया है कि उसे भरने में लम्बा समय लग सकता है।
सरकार खेत वाले तिलहनों के साथ-साथ ऑयल पाम का उत्पादन बढ़ाने पर विशेष ध्यान दे रही है। भारत में खाद्य तेलों के कुल आयात में पाम तेल की भागीदारी सबसे ज्यादा रहती है।
पाम के बागानी क्षेत्र का विकास-विस्तार करने के लिए प्रोत्साहन योजना आरंभ की गई है। सरसों का उत्पादन भी बढ़ रहा है।