iGrain India - नई दिल्ली । सफेद (कच्चे) गैर बासमती चावल का निर्यात बंद होने के बाद भारत से अब सेला (उसना) चावल का निर्यात तेजी से बढ़ने लगा है। अप्रैल-जून 2023 की तिमाही के दौरान 20-20 लाख टन का शिपमेंट हुआ था जबकि 21 जुलाई से 17 अगस्त के बीच 0.50-7.00 लाख टन का निर्यात हो गया।
वित्त वर्ष 2022-23 की सम्पूर्ण अवधि (अप्रैल-मार्च) के दौरान भारत से 178.60 लाख टन चावल के कुल निर्यात में सेला चावल की भागीदारी 78.50 लाख टन रही थी।
एक अग्रणी समीक्षक के अनुसार वर्तमान समय में भारतीय सेला चावल का फ्री ऑन बोर्ड औसत इकाई निर्यात ऑफर मूल्य अन्य निर्यातक देशों की तुलना में बहुत नीचे चल रहा है इसलिए विदेशी खरीदार इसकी खरीद में जबरदस्त दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
थाई राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अनुसार थाईलैंड के सेला 100 प्रतिशत सार्टेक्स चावल का निर्यात ऑफर मूल्य 615 डॉलर प्रति टन चल रहा है जबकि 5 प्रतिशत टूटे सेला चावल का ऑफर मूल्य 478.82 डॉलर प्रति टन ही है।
पाकिस्तान के पास सेला चावल का कोई स्टॉक नहीं है। थाईलैंड के 25 प्रतिशत टूटे सफेद (कच्चे) चावल का निर्यात ऑफर मूल्य भी बढ़कर 582 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया है।
दक्षिण-पूर्व एशिया फिलहाल शुष्क मौसम की अवधि से गुजर रहा है जिससे वहां धान-चावल का उत्पादन प्रभावित होने की आशंका है। इसे देखते हुए माना जा रहा है कि निर्यातक देशों की सरकारें चावल के बेतहाशा निर्यात पर अंकुश लगाने के लिए नीतिगत निर्णय ले सकती है।
थाईलैंड, मलेशिया एवं इंडोनेशिया में लम्बे समय से मौसम शुष्क बना हुआ है और चावल के लिए परिदृश्य वहां अच्छा नहीं माना जा रहा है। यह शुष्क मौसम अल नीनो के प्रकोप का नतीजा हो सकता है। भारत के कई भागों में भी चालू माह के दौरान अब तक बारिश नहीं हुई है।
चावल निर्यातक संघ के अध्यक्ष का कहना है कि स्थिति शीघ्र ही नियंत्रण में आ जाएगी। नेल्लोर में नई आवक शुरू होने से सेला चावल का निर्यात मूल्य 450 डॉलर प्रति टन पर आ गया है।