iGrain India - नई दिल्ली । ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इस बार अगस्त महीना पिछले 100 वर्षों में सबसे ज्यादा शुष्क रह सकता है क्योंकि दक्षिण-पश्चिम मानसून देश के अधिकांश इलाकों से या तो गायब हो गया है या फिर वहां निष्क्रिय बना हुआ है।
देश के विशाल भूभाग में वर्षा का अभाव होने की संभावना दिख रही है जिससे खरीफ फसलों की प्रगति एवं सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है।
समझा जाता है कि मानसून की इस निष्क्रियता का कारण अल नीनो मौसम चक्र का प्रकोप है। वैसे आधिकारिक तौर पर देश में अल नीनो के आगमन की घोषणा नहीं हुई है।
समीक्षकों के अनुसार अगस्त में बारिश का अभाव होने से धान, दलहन, तिलहन एवं कपास आदि फसल की उपज दर में कमी आने की आशंका बढ़ सकती है। कई क्षेत्रों में फसलें सूखने के कगार पर पहुंच गई हैं और वहां तत्काल अच्छी वर्षा की सख्त जरूरत है।
उल्लेखनीय है कि जुलाई में मानसून देश के अधिकांश इलाकों में काफी सक्रिय रहा था जिससे वहां जोरदार बारिश हुई थी। ऐसा लग रहा था कि अल नीनो इस बार मानसून को ज्यादा प्रभावित नहीं कर पाएगा। लेकिन अगस्त का महीना शुरू होते ही परिदृश्य बदलने लगा।
वैसे मानसून के बारे में मौसम विभाग ने पहले ही आगाह किया था लेकिन अगस्त में इतनी कम बारिश होगी-इसका किसी को अंदाजा नहीं था।
अगस्त का महीना बीतने में अभी 12-13 दिन बचे हुए हैं और इस अवधि में यदि सूखा ग्रस्त इलाकों में अच्छी वर्षा हो जाए तो हालात पुनः सामान्य हो सकते हैं।