iGrain India - नई दिल्ली । जुलाई में जोरदार बारिश का सौगात देने के बाद अगस्त में दक्षिण-पश्चिम मानसून देश के अधिकांश भागों में निष्क्रिय हो गया। इससे कई प्रमुख कृषि उत्पादक राज्यों में वर्षा की भारी कमी महसूस होने लगी है और खरीफ फसलों के मुरझाने-सूखने का खतरा पैदा हो गया है।
इसमें धान, दलहन, तिलहन एवं कपास मुख्य रूप से शामिल है। मोटे अनाजों की फसल को भी क्षति पहुंचने लगी है। यद्यपि देश में जुलाई के बाद अगस्त को दूसरा सर्वाधिक वर्षा वाला महीना माना जाता है लेकिन इस बार यह महीना सूखा बीत रहा है जबकि खरीफ फसलों की बिजाई एवं प्रगति की दृष्टि से इस महीने को अत्यन्त महत्वपूर्ण समझा जाता है।
मौसम विभाग के अनुसार अगस्त में मानसून उम्मीद के अनुरूप सक्रिय नहीं हो सका है जिससे वर्षा का अभाव बना हुआ है। देश के दक्षिणी, पश्चिमी एवं मध्यवर्ती भाग में चालू माह के दौरान बारिश काफी कम हुई है और अगले कुछ दिनों तक स्थिति में सुधार आना मुश्किल लगता है।
अगस्त में राष्ट्रीय स्तर पर सामान्य औसत से काफी कम बारिश होने की संभावना है। जून-जुलाई में बोई गई फसलों को अभी अच्छी बारिश की सख्त जरूर है अन्यथा उसकी औसत उपज दर एवं कुल पैदावार में कमी आ सकती हैं।
विशेषकर धान की फसल को नुकसान होने की आशंका है क्योंकि इसे पानी की सर्वाधिक आवश्यकता पड़ती है। हालांकि अगले माह यानी सितम्बर में मानसून के दोबारा सक्रिय होने की उम्मीद व्यक्त की जा रही है लेकिन तब तक कहीं बहुत देर न हो जाए।
अगस्त के शुरूआती 17 दिनों में राष्ट्रीय स्तर पर करीब 40 प्रतिशत कम वर्षा हुई जबकि मौसम विभाग ने पहले पूरे अगस्त में 8 प्रतिशत कम वर्षा होने का अनुमान लगाया था। पूर्वी एवं पूर्वोत्तर राज्यों में कहीं-कहीं बारिश हो रही है।