iGrain India - नई दिल्ली । पिछले एक माह के अंदर चना का भाव कुछ हद तक तेज एवं मजबूत हुआ है। इसकी त्यौहारी मांग निकलने लगी है जबकि दाल-दलहन बाजार में जारी तेजी-मजबूती का भी कुछ असर इस पर देखा जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि जब तुवर एवं उड़द की कीमतों में भारी बढ़ोत्तरी का रूख बना हुआ था तब चना का भाव लगभग शांत था लेकिन अब इसमें तेजी का माहौल बन रहा है। जुलाई के आरंभ की तुलना में अब तक चना के दाम में करीब 20 प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है।
केन्द्र सरकार ने 2022-23 सीजन के दौरान 135.43 लाख टन चना के रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान लगाया है जिसे देखते हुए इसके दाम में आई इस तेजी को व्यापारी असामान्य मान रहे हैं।
जून के अंत तक चना का घरेलू (थोक) बाजार भाव 5335 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे चल रहा था। अब यह सुधरकर समर्थन मूल्य के आसपास और कहीं-कहीं उससे ऊपर पहुंच गया है।
बेंचमार्क इंदौर मंडी में चना का भाव 30 जून को 4785 रुपए प्रति क्विंटल पर था जो 4 अगस्त को अत्यन्त ऊंचे स्तर पर पहुंचने के बाद धीरे-धीरे नरम पड़ता हुआ 17 अगस्त को 5595 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गया। यह चना का मॉडल मूल्य है जिस पर सर्वाधिक कारोबार होता है।
इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (इपगा) के चेयरमैन के अनुसार तुवर एवं उड़द का अभाव होने से अन्य दलहनों पर दबाव बढ़ गया है। ऊंचे सरकारी उत्पादन अनुमान के बावजूद हाल के दिनों में चना का दाम 6-7 रुपए प्रति किलो बढ़ा है और मसूर की कीमत में भी 2-3 रुपए प्रति किलो की बढ़ोत्तरी हुई है।
कुल मिलाकर दलहन का बाजार तेज हुआ है। यदि चना का सरकारी उत्पादन अनुमान सही है तो इसके दाम में आ रही तेजी असाधारण और अव्यावहारिक है। लेकिन उद्योग-व्यापार समीक्षकों का कहना है कि चना का वास्तविक उत्पादन सरकारी अनुमान से काफी कम हुआ है।