iGrain India - जाकार्ता। विश्व स्तर पर 2023-24 के मार्केटिंग सीजन (नवम्बर-अक्टूबर) के दौरान पाम तेल के उत्पादन में 2022-23 सीजन के मुकाबले करीब 2 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होने का अनुमान लगाया जा रहा है लेकिन यदि दक्षिण-पूर्व एशिया में अल नीनो मौसम चक्र का गहरा प्रभाव रहा तो उत्पादन में वृद्धि होना मुश्किल होगा।
मालूम हो कि इसी क्षेत्र में इंडोनेशिया, मलेशिया एवं थाईलैंड जैसा देश अवस्थित है जो पाम तेल का सबसे प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक है और भारत में पाम तेल का सर्वाधिक आयात इन्ही तीन देशों से होता है।
हालांकि एक अग्रणी रिसर्च एजेंसी ने 2023-24 में पाम तेल का वैश्विक उत्पादन 3.6 प्रतिशत बढ़कर 8 करोड़ टन पर पहुंच जाने का अनुमान लगाया है लेकिन साथ ही साथ आगाह भी किया है कि अल नीनो के कारण उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
उधर अमरीकी कृषि विभाग (उस्डा) की एक रिपोर्ट में पाम तेल का वैश्विक उत्पादन 2022-23 के 775.80 लाख टन से 2.4 प्रतिशत बढ़कर 2023-24 के सीजन में 794.60 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान लगाया गया है।
एक विश्लेषक के अनुसार अल नीनो के प्रकोप से दिसम्बर के आसपास ऑयल पाम की उपज दर प्रभावित हो सकती है। अभी तो मलेशिया में पानी के अभाव से उत्पादन पर असर पड़ रहा है।
अगस्त में उत्पादन वहां कमजोर पड़ने की संभावना है जबकि वह पीक उत्पादन का महीना माना जाता है। मलेशिया के दो शीर्ष उत्पादक प्रान्त- साबाह एवं सारावाक में पाम तेल का उत्पादन घटने के संकेत मिल रहे हैं।
मौजूदा स्थिति के आधार पर अगले छह माह के दौरान इंडोनेशिया एवं मलेशिया में पाम तेल का उत्पादन सामान्य औसत के आसपास होने की संभावना है। अभी अल नीनो मौसम चक्र की ताकत अज्ञात है।
आगे यह देखना आवश्यक होगा कि अल नीनो ऑयल पाम को कितना प्रभावित करता है। अमरीकी मौसम पूर्वानुमान केन्द्र के अनुसार इस बात की 20 प्रतिशत संभावना है कि अल नीनो मौसम चक्र उतना असरदार या ताकतवर होगा जितना 2014 से 2016 के दरम्यान रहा था।
ऑस्ट्रेलिया मौसम ब्यूरों ने भी कहा है कि अल नीनो आने के 70 प्रतिशत चांस हैं। एक रेटिंग एजेंसी ने पाम तेल की वैश्विक खपत 3.7 प्रतिशत बढ़कर 789 लाख टन तथा उस्डा ने 775.10 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान लगाया है जो 2022-23 सीजन की वैश्विक खपत 747.30 लाख टन से काफी ज्यादा है।