iGrain India - भोपाल । पिछले दशक के दौरान मध्य प्रदेश में कृषि क्षेत्र की विकास दर नियमित रूप से 18 प्रतिशत था उससे अधिक रहने का दावा किया गया था लेकिन अब पिछले तीन साल से वहां गेहूं के उत्पादन में गिरावट का रुख बना हुआ है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार मध्य प्रदेश में गेहूं का उत्पादन 2020-21 सीजन में 371.98 लाख टन के शीर्ष स्तर पर पहुंचा था जो इस बार घटकर 349.23 लाख टन पर सिमट गया।
हाल के वर्षों में मध्य प्रदेश देश के शीर्ष गेहूं उत्पादक राज्यों की सूची में न केवल शामिल हुआ है बल्कि इसने पंजाब और हरियाणा को भी पीछे छोड़ दिया है।
जहां तक राज्य द्वारा केन्द्रीय पूल में गेहूं का योगदान देने की बात है तो एक बार यह पंजाब से आगे निकलकर प्रथम स्थान पर पहुंच गया था। 2021-22 के सीजन में वहां 356.69 लाख टन गेहूं का उत्पादन हुआ था।
उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक मध्य प्रदेश में वर्ष 2021 में 128.15 लाख टन गेहूं की शानदार सरकारी खरीद हुई थी मगर 2022 में यह लुढ़ककर 46.03 लाख टन पर सिमट गई। वर्ष 2023 में इसकी मात्रा बढ़कर 70.97 लाख टन पर पहुंच गई।
इस तरह यद्यपि मध्य प्रदेश में 2022 की तुलना में 2023 के दौरान गेहूं की सरकारी खरीद में 24.94 लाख टन का इजाफा हुआ मगर 2021 के मुकाबले इसकी खरीद बहुत पीछे रह गई।
पिछले महीने आयोजित विधानसभा के मानसून अधिवेशन (सत्र) के दौरान राज्य सरकार द्वारा गेहूं की पैदावार एवं खरीद का उपरोक्त आंकड़ा प्रस्तुत किया गया। राज्य सरकार का कहना था कि बाजार भाव तथा उत्पादन के आधार पर गेहूं की खरीद घटती-बढ़ती रहती है।
वर्ष 2022 में गेहूं के उत्पादन में तो ज्यादा गिरावट नहीं आई लेकिन इसका मंडी भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी ऊंचा था इसलिए सरकारी एजेंसियों को किसानों से इसकी खरीद करने में कठिनाई हुई।
समीक्षकों का कहना है कि किसान अब गेहूं के बजाए अन्य नकदी फसलों की खेती को प्राथमिकता दे रहे हैं जिसमें दलहन, तिलहन एवं कपास आदि शामिल है। बेहतर सिंचाई सुविधा के कारण राज्य में धान का क्षेत्रफल भी बढ़ रहा है।