iGrain India - बंगलोर । चावल अधिकांश भारतीयों का मुख्य खाद्य आहार है मगर अब यह भी महंगा होने वाला है। उत्पादकों, व्यापारियों एवं कृषि विशेषज्ञों के अनुसार मानसून सीजन में वर्षा की कमी तथा अनिश्चितता के कारण चावल का भाव तेज हो रहा है।
चावल की मांग की तुलना में आपूर्ति कम हो रही है जिसके चलते पिछले करीब डेढ़ माह के अंदर ही इसके दाम में 15-20 प्रतिशत का इजाफा हो गया है।
यशवंतपुर कृषि उत्पाद विपणन समिति (एपीएमसी) परिसर के व्यापारियों का कहना है कि जून के अंत में कच्चा सोना मसूरी चावल का भाव 45-48 रुपए प्रति किलो चल रहा था जो वर्तमान समय में बढ़कर 55-60 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गया है।
इसी तरह इडली-डोसा चावल का दाम 28-30 रुपए प्रति किलो से सुधरकर 35 रुपए प्रति किलो हो गया है। अधिकांशत: आतिथ्य संस्कार उद्योग में इस्तेमाल होने वाले स्टीम चावल का मूल्य 38-43 रुपए से बढ़कर 45-50 रुपए प्रति किलो पर पहुंच चुका है।
व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक थोक बाजार की तुलना में खुदरा बाजार में चावल का भाव 10-15 प्रतिशत ऊंचा रहता है। समीक्षकों के मुताबिक चावल का भाव पहले जुलाई में तेज हुआ और अब फिर से इसमें तेजी आने लगी है।
पिछले साल जोरदार मानसूनी बारिश एवं भयंकर बाढ़ से कर्नाटक में धान की फसल प्रभावित हुई थी जबकि चालू वर्ष के दौरान राज्य में वर्षा का भारी अभाव रहने से धान के कुल क्षेत्रफल में करीब 40 प्रतिशत की जोरदार गिरावट आ गई है।
अनेक क्षेत्रों में पिछले 20 दिन से कोई बारिश नहीं हुई है जिससे वहां धान की खेती करने वाले किसान काफी चिंतित और परेशान हैं। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार अगला 10 दिन अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
यदि इस अवधि में भी वर्षा गायब रही तो चावल की कीमतों में और बढ़ोत्तरी हो सकती है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार 1 किलो चावल का उत्पादन करने में करीब 2500 लीटर पानी की जरूरत पड़ती है।
अनेक किसान खरीफ और रबी सीजन में सोना मसूरी धान की खेती करते हैं लेकिन बारिश की कमी से उन्हें इस बार धान की रोपाई में सफलता नहीं मिल सकी।
कर्नाटक के महत्वपूर्ण धान उत्पादक जिलों- मैसूर, हासन, मांड्या कामराजनगर में पानी का भारी अभाव है और किसान बेसब्री से वर्षा का इंतजार कर रहे हैं।