iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय के अधीनस्थ निकाय- विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात सम्बन्धी नियमों-शर्तों पर स्थिति स्पष्ट करते हुए कस्टम विभाग को निर्देश दिया है कि 31 अगस्त 2023 तक सभी उपयुक्त चावल की खेप (कार्गो) को क्लीयरेंस प्रदान किया जाए ताकि उसका शिपमेंट संभव हो सके।
दरअसल 20 जुलाई 2023 को जब सफेद गैर बासमती चावल के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाया गया था तब डीजीएफटी ने कुछ शर्तों के साथ इसके शिपमेंट की स्वीकृति दी थी। इसके लिए तीन शर्तें नियत की गई थी।
इससे निर्यातकों एवं कस्टम विभाग की दुविधा बढ़ गई क्योंकि डीजीएफटी की अधिसूचना में यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि चावल निर्यात के लिए एक शर्त को पूरा करना है या तीनों शर्तों को। निर्यातकों के साथ-साथ कस्टम विभाग ने भी डीजीएफटी को पत्र भेजकर स्थिति स्पष्ट करने का अनुरोध किया और फिर महानिदेशालय ने इस आशय की एक सूचना जारी कर दी।
इसमें कहा गया कि तीनों शर्तों को पूरा करना आवश्यक नहीं है बल्कि किसी एक शर्त का पालन होने पर शिपमेंट की स्वीकृति दी जा सकती है। इसके साथ ही कस्टम विभाग से कहा गया है कि वे जल्दी से जल्दी इस पर उचित कदम उठाए ताकि 31 अगस्त तक या उससे पूर्व गैर बासमती चावल के उस कार्गो का शिपमेंट सुनिश्चित हो सके जिसे असमंजस के कारण अब तक बंदरगाहों पर रोककर रखा गया है।
समझा जाता है कि विभिन्न बंदरगाहों पर अभी तक लगभग 2 लाख टन सफेद गैर बासमती चावल का स्टॉक शिपमेंट के लिए पड़ा हुआ है। जिस चावल की लोडिंग जहाजों पर पहले ही हो चुकी है उसे यथाशीघ्र रवाना किया जा सकता है।
इसके अलावा अन्य कार्गो को भी प्रस्थान करने की अनुमति जल्दी ही मिल जाएगी क्योंकि अब कस्टम विभाग की ओर से उसमें किसी तरह का अड़चन डाले जाने की संभावना नहीं है।
ऐसा प्रतीत होता है कि 31 अगस्त 2023 के बाद सफेद गैर बासमती चावल का निर्यात बंद हो जाएगा लेकिन सेला चावल गैर बासमती चावल का निर्यात जारी रहेगा। खाद्य सचिव ने कहा है कि गैर बासमती संवर्ग के सेला चावल के निर्यात पर किसी तरह का कोई नियंत्रण लगाने पर सरकार अभी विचार नहीं कर रही है।