iGrain India - नई दिल्ली । सर्वोच्च न्यायालय ने गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) 'जीन कैम्पेन' तथा अन्य से केन्द्र सरकार की उस दलील पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है जिसमें नवम्बर 2022 की उसकी मौखिक अंडर टेकिंग को वापस लेने की मांग की गई है।
उसमें कहा गया था कि वह जीएम सरसों की व्यावसायिक खेती के साथ आगे नहीं जाएगी। पर्यावरण मंत्रालय की संस्था- जीएक (जेनेटिक इंजीनियरिंग एप्रेजल कमेटी) ने कहा है कि जीएम सरसों को जारी करने की सिफारिश उसके स्वीकृत (अनुमोदित) पत्र के जारी होने की तिथि से चार वर्षों के लिए है।
उच्चतम न्यायालय के दो न्यायाधीशों की बेंच ने केन्द्र की याचिका पर संज्ञान लेते हुए उस एनजीओ को नोटिस जारी किया है जिसने इस मुद्दे पर वर्ष 2004 में ही पीआईएल दाखिल किया था। इसके अलावा अन्य सम्बद्ध पक्षों को भी नोटिस भेजा गया है जिसमें पर्यावरण कार्यकर्ता भी शामिल है।
केन्द्र ने लम्बित मामलों में दाखिल अपने एक नए आवेदन में एक अतिरिक्त महाधिवक्ता द्वारा दी गई उस मौखिक अंडर टेकिंग (स्वीकृति) को वापस लेने की इच्छा जताई है जिसमें कहा गया था कि जीएम सरसों की व्यावसायिक खेती पर यथा- स्थिति बरकरार रखी जाएगी।
एनजीओ की ओर से अदालत में उपस्थित वकील ने इस पर जवाब दाखिल करने के लिए समय देने का आग्रह किया। उसका कहना था कि यह आवेदन पिछली रात को जमा किया गया। इस पर एनजीओ को अपना जवाब दाखिल करना है।
केन्द्र इस अदालत में दी गई अंडर टेकिंग को वापस लेना चाहता है। इस पर सुनवाई होनी है और एनजीओ के रिस्पांस के बगैर इस पर सुनवाई नहीं हो सकती है। यह अंडर टेकिंग इस सम्पूर्ण अवधि के दौरान क्रियाशील रही है।
अदालत अगले सप्ताह इस मामले को पोस्ट कर सकती है जबकि एनजीओ की तरफ से दो दिनों में जवाब दाखिल किया जा सकता है। सरकारी अधिवक्ता का कहना था कि जब मौखिक अंडर टेकिंग दी गई थी तब से अब तक लम्बा समय गुजर चुका है इसलिए इसे वापस लेने की स्वीकृति दी जानी चाहिए।