iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि राष्ट्रीय स्तर पर धान का कुल उत्पादन क्षेत्र इस बार 18 अगस्त तक बढ़कर 360.79 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया
जो पिछले साल की समान अवधि के रकबा 345.79 लाख हेक्टेयर से 15 लाख हेक्टेयर या 4 प्रतिशत ज्यादा और सामान्य औसत क्षेत्रफल का 90 प्रतिशत है
लेकिन अगस्त माह में देश के अनेक महत्वपूर्ण उत्पादक क्षेत्रों में मानसून की वर्षा का अभाव होने से फसल की प्रगति में बाधा पड़ने से इसके उत्पादन के प्रति चिंता अभी बरकरार है।
सरकार ने यद्यपि फिलहाल गैर बासमती सेला चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की संभावना से इंकार किया है लेकिन सफेद (कच्चे) चावल के निर्यात पर पाबंदी जारी रखने का संकेत दिया है।
दिलचस्प तथ्य यह है कि सिर्फ धान का क्षेत्रफल बढ़ने के आधार पर सरकार ने आगामी खरीफ मार्केटिंग सीजन के लिए चावल की खरीद का लक्ष्य बढ़ाकर 521.40 लाख टन निर्धारित कर दिया है।
पिछले साल की तुलना में चालू खरीफ सीजन के दौरान धान के उत्पादन क्षेत्र में तेलंगाना में 4.42 लाख हेक्टेयर, बिहार में 4.15 लाख हेक्टेयर, छत्तीसगढ़ में 2.71 लाख हेक्टेयर, झारखंड में 2.24 लाख हेक्टेयर, हरियाणा में 1.64 लाख हेक्टेयर,
पश्चिम बंगाल में 1.47 लाख हेक्टेयर, उत्तर प्रदेश में 1.28 लाख हेक्टेयर, पंजाब में 40 हजार हेक्टेयर तथा मध्य प्रदेश में 32 हजार हेक्टेयर की बढ़ोत्तरी हुई है जबकि दूसरी ओर इसका क्षेत्रफल आंध्र प्रदेश में 1.53 लाख हेक्टेयर, कर्नाटक में 1.47 लाख हेक्टेयर,
आसाम में 61 हजार हेक्टेयर तथा उड़ीसा में 43 हजार हेक्टेयर घट गया है। दिलचस्प तथ्य यह है कि बिहार, झारखडं, पूर्वी उत्तर प्रदेश, उड़ीसा एवं पश्चिम बंगाल जैसे प्रांतों में जुलाई के दौरान मानसून की काफी कम बारिश हुई थी।
पंजाब में मुख्यत: बासमती धान का रकबा बढ़ा है जबकि गैर बासमती धान के क्षेत्रफल में कमी आई है। वहां बाढ़-वर्षा से फसल को कुछ नुकसान भी हुआ है।