iGrain India - नागपुर । देश के एक महत्वपूर्ण दलहन और खासकर तुवर उत्पादक राज्य- महाराष्ट्र में चालू मानसून सीजन के दौरान बारिश कम हुई है जिससे दलहन फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र घटकर 15.97 लाख हेक्टेयर रह गया जो पिछले खरीफ सीजन के बिजाई क्षेत्र 18.69 लाख हेक्टेयर से 14.56 प्रतिशत कम है।
दूसरी ओर तिलहन फसलों का क्षेत्रफल गत वर्ष के 50.32 लाख हेक्टेयर से 2.5 प्रतिशत सुधरकर इस बार 51.58 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा जबकि अनाजी फसलों का रकबा पिछले साल के आसपास ही रहा। कपास के उत्पादन क्षेत्र मामूली गिरावट के साथ 41.89 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया।
दलहन फसलों के क्षेत्रफल में गिरावट आने का कारण मुख्यत: मराठवाड़ा संभाग में कम वर्षा होना रहा। इस संभाग के कुल आठ जिलों में से केवल दो जिलों- नांदेड एवं हिंगोली में चालू मानसून सीजन के दौरान अच्छी बारिश हुई जबकि शेष छह जिलों- औरंगाबाद, बीड, उस्मानाबाद, जालना, परभणी एवं लातूर में काफी कम वर्षा होने से दलहनों की बिजाई पर असर पड़ा।
खरीफ सीजन के दौरान महाराष्ट्र में अरहर (तुवर), उड़द एवं मूंग सहित कुछ अन्य दलहनों की खेती होती है। गत वर्ष के मुकाबले चालू खरीफ सीजन के दौरान महाराष्ट्र में तुवर का उत्पादन क्षेत्र 11.57 लाख हेक्टेयर से फिसलकर 11.10 लाख हेक्टेयर अटक गया। इसी तरह मूंग एवं उड़द के क्षेत्रफल में भी गिरावट दर्ज की गई।
बारिश का अभाव खरीफ फसलों की प्रगति को भी प्रभावित करेगा। जिन इलाकों में अच्छी बिजाई हुई है वहां फसलों को सिंचाई के लिए तत्काल वर्षा की सख्त आवश्यकता है।
महाराष्ट्र के कृषि मंत्री ने बारिश की कमी पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि खासकर मराठवाड़ा संभाग में दलहन फसलों पर इसका प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
कृषि मंत्री के अनुसार इस संभाग के कम से कम छह जिलों में उम्मीद के अनुसार बारिश नहीं हुई है जो गंभीर चिंता का विषय है। इसके साथ-साथ उत्तरी महाराष्ट्र एवं विदर्भ संभाग के कुछ भागों में भी बारिश कम होने से चुनौती बढ़ गई है। महाराष्ट्र और कर्नाटक के दो शीर्ष उत्पादक राज्य हैं इसलिए वहां उत्पादन घटने पर समस्या बढ़ सकती है।