iGrain India - बैंकॉक । भारत से गैर बासमती सफेद चावल का निर्यात बंद होने तथा म्यांमार के निर्यातकों द्वारा नया अनुबंध नहीं किए जाने से थाईलैंड के चावल को स्वच्छंद वैश्विक बाजार हासिल हो गया है और इसलिए इसकी कीमतों में नियमित रूप से तेजी-ंमजबूती आने लगी है।
म्यांमार से दो माह के लिए चावल का निर्यात रोके जाने की संभावना है। थाईलैंड के चावल का निर्यात ऑफर मूल्य बढ़कर 12,000 बहत (थाई मुद्रा) प्रति टन की ऊंचाई पर पहुंच गया है।
भारत चावल का सबसे प्रमुख निर्यातक देश है और संसार में 40-42 प्रतिशत चावल की मांग को अकेले पूरा करता है। इसका चावल सस्ता होता है इसलिए निर्यातक देशों को भी अपने चावल का भाव नीचे रखना पड़ता है।
मगर अब यह चुनौती समाप्त हो गई है क्योंकि भारत से सफेद चावल का निर्यात बंद हो गया है और म्यांमार से भी 1 सितम्बर से शिपमेंट बंद हो जाएगा। पाकिस्तान के पास ज्यादा स्टॉक नहीं है।
वियतनाम के चावल का दाम भी ऊंचा चल रहा है। ऐसी हालत में थाईलैंड के निर्यातकों को अपने चावल के निर्यात ऑफर मूल्य में मनमानी बढ़ोत्तरी करने का अवसर और प्रोत्साहन मिल रहा है।
जब भारत सरकार ने 20 जुलाई को गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी तभी से वैश्विक बाजार में इसका भाव तेज होने लगा था।
बाद में सरकार ने सेला चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगा दिया और बासमती चावल के लिए भी 1200 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य निर्धारित कर दिया। वैश्विक चावल बाजार पर भारत सरकार के इस निर्णय का गहरा असर पड़ने के संकेत मिलने लगे हैं।
थाई राईस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के मानद अध्यक्ष का कहना है कि कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि के कारण निर्यातकों के लिए नया अनुबंध करना बहुत मुश्किल हो रहा है। वैश्विक चावल बाजार में भारी अनिश्चितता बनी हुई है।