iGrain India - रंगून । अल नीनो की वजह से शुष्क मौसम रहने की संभावना ने वैश्विक चावल बाजार पर गहरा असर डालना शुरू कर दिया है। पहले भारत ने गैर बासमती सफेद चावल का निर्यात रोका और अब म्यांमार से इसका शिपमेंट बंद होने जा रहा है।
म्यांमार विश्लेषकों के अनुसार म्यांमार 1 सितम्बर 2023 से सफेद चावल के निर्यात को रोकना शुरू कर देगा। निर्यात नियंत्रण अगले डेढ़-दो माह तक जारी रहेगा और जब सरकार इस बात से संतुष्ट हो जाएगी कि घरेलू प्रभाग में चावल का दाम स्थिर हो गया है तब इसका निर्यात दोबारा शुरू करने पर विचार किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि म्यांमार से वैश्विक बाजार में प्रतिवर्ष करीब 20 लाख टन सफेद (कच्चे) चावल का निर्यात होता है। भारत सरकार द्वारा 20 जुलाई को सफेद गैर बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद म्यांमार के चावल की मांग वैश्विक बाजार में बढ़ने लगी क्योंकि उसका निर्यात ऑफर मूल्य थाईलैंड और वियतनाम से नीचे था।
इसके फ़लस्वरूप वहां घरेलू बाजार लगाने का निर्णय लेने के लिए विवश होना पड़ा। ध्यान देने की बात है कि म्यांमार से कृषि उत्पादों के संवर्ग में सर्वाधिक निर्यात चावल का ही होता है और यह विदेशी मुद्रा उपार्जन का महत्वपूर्ण स्रोत बना हुआ है इसलिए सरकार इसके निर्यात पर ज्यादा समय तक प्रतिबंध लगाए रखना पसंद नहीं करेगी।
सिर्फ घरेलू बाजार में आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति को आसान या सुविधाजनक बनाने तथा बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से तात्कालिक उपाय के तहत कच्चे (सफेद) चावल के निर्यात पर अस्थायी रोक लगाई जाएगी।
भारत सरकार ने टुकड़ी चावल तथा सफेद गैर बासमती चावल के निर्यात पर पूर्ण प्रतिबंध तथा गैर बासमती सेला चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगा दिया है।
इसके साथ-साथ बासमती चावल के लिए भी 1200 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य निर्धारित किया है। इससे भारतीय चावल के कुल निर्यात में भारी गिरावट आने की संभावना है।