iGrain India - नई दिल्ली । पिछले साल की तुलना में चालू खरीफ सीजन के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर मोटे अनाजों के बिजाई क्षेत्र में अब तक एक लाख हेक्टेयर से अधिक की बढ़ोत्तरी हो चुकी है।
सिर्फ ज्वार को छोड़ कर अन्य सभी मोटे अनाजों के रकबे में इजाफा हुआ है। कुछ क्षेत्रों में बारिश की कमी से दलहन-तिलहन एवं कपास की बिजाई प्रभावित होने पर किसानों ने बाजरा एवं मक्का की खेती कर ली।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के नवीनतम सप्ताहिक आंकड़ों से पता चलता है कि चालू खरीफ सीजन में मोटे अनाजों का कुल उत्पादन क्षेत्र बढ़कर 178.30 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया जो गत वर्ष की समान अवधि में 177.20 लाख हेक्टेयर तक ही पहुंचा था।
पिछले साल के मुकाबले इस बार ज्वार का क्षेत्रफल 14.99 लाख हेक्टेयर से घटकर 13.84 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया लेकिन बाजरा का बिजाई क्षेत्र 69.32 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 70.00 लाख हेक्टेयर, रागी का रकबा 7.46 लाख हेक्टेयर से सुधरकर 7.63 लाख हेक्टेयर, मक्का का उत्पादन क्षेत्र 80.85 लाख हेक्टेयर से उछलकर 82.09 लाख हेक्टेयर तथा स्मॉल मिलेट्स का बिजाई क्षेत्र 4.54 लाख हेक्टेयर से सुधरकर 4.78 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया।
हालांकि महत्वपूर्ण उत्पादक इलाकों में अगस्त माह के दौरान वर्षा का अभाव रहा लेकिन इससे अन्य खरीफ फसलों की तुलना में मोटे अनाजों की फसल को कम नुकसान होने की आशंका है क्योंकि मोटे अनाज की फसलें सूखे की स्थिति को अधिक दिनों तक बर्दाश्त करने में सक्षम होती हैं।
खरीफ कालीन मोटे अनाजों की बिजाई प्रक्रिया बिल्कुल अंतिम चरण में पहुंच गई है और इसलिए अब क्षेत्रफल में ज्यादा बदलाव की गुंजाईश नहीं है। यदि अगले दो-चार दिनों में अच्छी बारिश हो जाती है तो कई इलाकों में फसल की हालत बेहतर हो जाएगी।