नई दिल्ली, 28 अगस्त (आईएएनएस)। भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सिख समुदाय के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष रिश्ते का जिक्र करते हुए यह दावा किया है कि सिख समुदाय और सिख धर्म को लेकर मोदी सरकार द्वारा लिए गए महत्वपूर्ण फैसलों और कार्यों से यह विशेष रिश्ता साफ-साफ झलकता है। भाजपा अध्यक्ष नड्डा ने सोमवार को नई दिल्ली में 'सिख्स एंड मोदी (ए जर्नी ऑफ 9 इयर्स)' नामक कॉफी टेबल बुक के विमोचन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आजादी के बाद देश के सभी प्रधानमंत्रियों ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से अपना-अपना वक्तव्य दिया।
लेकिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने गुरु तेग बहादुर सिंह जी की 400वीं जयंती मनाने के लिए लाल किले पर मुख्य आयोजन करवाया। हेमकुंड साहिब जाने का रास्ता सुगम बनाया।
अफगानिस्तान में तालिबान का राज आने के बाद वहां से सिखों को बचाकर भारत लाया गया, यहां तक कि स्वरूप को भी पूरे सम्मान के साथ भारत लाकर यहां स्थापित किया गया। भारत से बाहर चली गई पवित्र वस्तुओं को वापस देश में लाया जा रहा है। सुरक्षा और इंटेलिजेंस सहित तमाम दिक्कतों और समस्याओं को एड्रेस करते हुए मोदी सरकार ने करतारपुर कॉरिडोर का निर्माण करवाया, जो सिख समुदाय की दशकों पुरानी मांग थी।
नड्डा ने पिछले 9 वर्षों के शासनकाल में मोदी सरकार द्वारा सिख धर्म और सिख समुदाय के लिए उठाए गए कई कदमों का जिक्र करते हुए आगे यह भी कहा कि मोदी सरकार ने श्री हरमंदिर साहिब को विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) पंजीकरण प्रदान किया, और आज दुनिया भर में फैले सिख समुदाय के लोग मंदिर में योगदान दे सकते हैं।
इसके अलावा मोदी सरकार ने लंगर की वस्तुओं पर जीएसटी माफ करके भी गुरुद्वारों को बड़ी राहत देने का काम किया, सरकार ने इस फैसले के बाद सालाना 325 करोड़ रुपये वापस करने का फैसला किया ताकि लंगर की वस्तुओं पर जीएसटी माफ हो सके।
उन्होंने भारत को मजबूत बनाने और राष्ट्रीयता की भावना को मजबूत करने में सिख समुदाय के बलिदान और योगदान को याद करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिख समुदाय से जुड़े जिन मसलों को निर्णायक मुकाम तक पहुंचाया, वो हाल-फिलहाल की समस्या नहीं थी बल्कि 70-75 सालों पुरानी समस्या थी लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने कुर्सी की चिंता नहीं की, बल्कि कौम और देश की चिंता कर फैसला किया।
1984 के सिख दंगे का जिक्र करते हुए नड्डा ने कहा कि 30 साल तक इस दंगे के मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं की गई, एक राजनीतिक दल के नेताओं को कानूनी कार्रवाई से बचाने के लिए सरंक्षण दिया जाता रहा। सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1984 दंगे की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया, कार्रवाई हुई और 35 साल बाद दंगे के दोषी को आजीवन कारावास की सजा मिली।
--आईएएनएस
एसटीपी/एबीएम