iGrain India - अहमदाबाद । केन्द्र सरकार ने कपास गुणवत्ता नियंत्रण आदेश लागू करने का निर्णय लिया है जिससे भारतीय टेक्सटाइल उद्योग की चुनौतियां बढ़ जाएंगी। लेकिन इसके साथ-साथ उद्योग के लिए कुछ अच्छे अवसर भी बनने की उम्मीद है।
इस आदेश से उद्योग को बेहतर क्वालिटी के उत्पादों का निर्यात करने में सहायता मिलेगी, भारतीय उत्पादों के प्रति विदेशी खरीदारों का विश्वास बढ़ेगा और वैश्विक गुणवत्ता जरूरतों को पूरा करने से इन उत्पादों की मांग में बढ़ोत्तरी होगी।
उल्लेखनीय है कि भारतीय वस्त्र उद्योग न केवल अत्यन्त विशाल है बल्कि राष्ट्रीय अर्थ व्यवस्था के विकास में भारी योगदान भी देता है। यह उद्योग रोजगार भी बड़े पैमाने पर उपलब्ध करवा रहा है।
देश से विशाल मात्रा में कॉटन प्रॉडक्ट्स का निर्यात होता है जिससे बहुमूल्य विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है। भारत दुनिया का अग्रणी कपास उत्पादक देश है और पिछले कुछ वर्षों के दौरान यहां से कॉटन उत्पादों के साथ-साथ रूई के निर्यात में भी अच्छी बढ़ोत्तरी हुई।
मगर दो साल से इसका निर्यात प्रदर्शन कमजोर चल रहा है। वैश्विक बाजार में भारत की छवि, प्रतिष्ठा एवं विश्वसनीयता को बरकरार रखने के लिए अब निर्यात योग्य उत्पादों की क्वालिटी को ऊंचे स्तर पर रखने पर विशेष जोर दिया जा रहा है।
इससे अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारत की प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ेगी और तदनुरूप निर्यात में अच्छा इजाफा हो सकेगा। इसके तहत सरकार ने रूई की गांठ के लिए गुणवत्ता नियंत्रण आदेश लागू करने का फैसला किया है।
इससे कपास क्षेत्र से जुड़े सभी सम्बद्ध पक्षों को भविष्य में बेहतर अवसर मिलने की उम्मीद है। इसके तहत जो नियम-प्रावधान बनाए गए हैं वे स्वदेश में उत्पादित कपास के लिए ही नहीं बल्कि विदेशों से आयातित रूई के लिए भी लागू होंगे।
इस आदेश का प्राथमिक उद्देश्य बाजार में हल्की क्वालिटी एवं सस्ती कीमत वाली कपास के प्रवाह को नियंत्रित करना है ताकि उपभोक्ताओं को बेहतरीन क्वालिटी का उत्पाद हासिल हो सके।