iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार द्वारा बासमती चावल की सभी किस्मों एवं श्रेणियों के लिए 1200 डॉलर प्रति टन की समान दर से न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) लगाने का जो निर्णय लिया गया है उससे निर्यातक नाखुश हैं।
वे इसे न केवल काफी ऊंचा बल्कि अव्यावहारिक भी मानते हैं और इसमें कटौती की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं। निर्यातकों की नाखुशी की खबर केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय तक पहुंच चुकी है और उसने एपीडा को इस मामले पर निर्यातकों के साथ बातचीत करने के लिए कहा है।
बासमती धान और चावल का भाव पिछले कई महीनों से ऊंचे स्तर पर चल रहा है और फिर भी इसका बेहतर कारोबार हो रहा है। भले ही केन्द्रीय कृषि मंत्रालय हकीकत को स्वीकार न करे मगर यह सच है कि पिछले खरीफ एवं रबी सीजन के दौरान चावल एवं गेहूं के घरेलू उत्पादन में काफी गिरावट आ गई थी।
इसके विपरीत कृषि मंत्रालय का मानना है कि इन दोनों जिंसों का उत्पादन उछलकर सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया। मंत्रालय के अनुसार चावल का घरेलू उत्पादन 2020-21 के सीजन में 1243.70 लाख टन हुआ था जो 2021-22 के सीजन में बढ़कर 1294.70 लाख टन तथा 2022-23 के सीजन में उछलकर 1355.40 लाख टन के शीर्ष स्तर पर पहुंचा गया।
इसी तरह गेहूं का उत्पादन समीक्षाधीन अवधि के दौरान 1095.90 लाख टन से बढ़कर 1077.40 लाख टन और फिर उछलकर 1127.40 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा।
दिलचस्प तथ्य यह है कि इस रिकॉर्ड घरेलू उत्पादन के बावजूद सरकार को पहले गेहूं और इसके मूल्य संवर्धित उत्पादों और फिर टुकड़ी चावल के निर्यात पिछले साल प्रतिबंध लगाने के लिए विवश होना पड़ा।
इससे बात नहीं बनी तो इस वर्ष 20 जुलाई से सफेद (कच्चे) गैर बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगा दी गई और फिर 25 अगस्त को गैर बासमती सेला चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लागू कर दिया गया। इतना ही नहीं बल्कि बासमती चावल के शिपमेंट को नियंत्रित करने हेतु इसका न्यूतनम निर्यात मूल्य 1200 डॉलर प्रति टन निर्धारित किया गया।
अभी देश से बासमती चावल एवं गैर बासमती सेला चावल के निर्यात पर प्रतिबंध नहीं लगा है बल्कि सरकार ने इसके शिपमेंट को नियंत्रित (सीमित) करने के लिए एहतियाती कदम उठाया है लेकिन आगे गैर बासमती सेला चावल के निर्यात पर प्रतिबंध का खतरा मंडरा रहा है।
सरकार ने तर्क दिया है कि बासमती के नाम पर गैर बासमती सफेद चावल के गैर कानूनी निर्यात की किसी भी संभावना को समाप्त करने के लिए बासमती चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) निर्धारित किया गया है मगर निर्यातकों का कहना है कि यह काम तो 950-1000 डॉलर प्रति टन का मेप नियत करके भी हो सकता था।
इसके लिए 1200 डॉलर प्रति टन का अत्यन्त ऊंचा मेप निर्धारित करने की आवश्यकता नहीं थी क्योंकि इसका सीधा असर बासमती चावल के निर्यात पर ही पड़ेगा।