iGrain India - जोधपुर । हालांकि खरीफ कालीन मूंग के सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त- राजस्थान में इस वर्ष जून-अगस्त की तिमाही के दौरान सामान्य औसत से 15 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई मगर अगस्त माह में वर्षा की कमी 79 प्रतिशत दर्ज की गई। इसके फलस्वरूप अन्य खरीफ फसलों के साथ-साथ मूंग की फसल भी प्रभावित होने की आशंका है।
एग्री कॉमोडिटी मार्केट रिसर्च फर्म आई ग्रेन इंडिया के डायरेक्टर राहुल चौहान का कहना है कि राजस्थान में इस वर्ष मध्य जून के बाद बिपरजॉय तूफान की वजह से अच्छी बारिश होने के कारण किसानों को कई जिलों में मूंग की अगैती बिजाई करने का अवसर मिला था।
वह फसल अब परिपक्व होने लगी है और बारिश नहीं होने से उसे कोई नुकसान भी नहीं हो रहा है। लेकिन मध्यवर्ती एवं पिछैती बिजाई वाली मूंग की फसल के लिए खतरा अभी बरकरार है।
इसके लिए मौसम की हालत पूरी तरह अनुकूल नहीं है और यदि शीघ्र ही वहां अच्छी वर्षा नहीं हुई तो मूंग के दाने का आकार छोटा हो सकता है और इसकी उपज दर में गिरावट आ सकती है।
राजस्थान की कुछ मंडियों में नई मूंग का श्रीगणेश हो चुका है। जोधपुर मंडी में इसका भाव 7200/8300 रुपए प्रति क्विंटल और पुराने स्टॉक वाले माल का दाम 6500/7600 रुपए प्रति क्विंटल के बीच चल रहा है।
राहुल चौहान के मुताबिक 1 अगस्त को इस मंडी में पुरानी मूंग का मूल्य 6000/7100 रुपए प्रति क्विंटल था। नए माल का भाव ऊंचे स्तर पर खुलने से पुराने स्टॉक की कीमत में भी कुछ बढ़ोत्तरी हो गई।
अहमदाबाद के एक दाल मिलर का कहना है कि राजस्थान में नियमित रूप से वर्षा नहीं होने के कारण मूंग फसल की हालत खराब होती जा रही है और इस वर्ष उत्पादन में भारी गिरावट आ सकती है।
यह गिरावट 30-40 प्रतिशत या 50 प्रतिशत तक भी पहुंच जाए तो कोई हैरानी की बात नहीं होगी। हालांकि वहां अगैती बिजाई हुई थी और जुलाई में फसल की हालत अच्छी दिख रही थी मगर अगस्त के सूखे ने समीकरण बिगाड़ दिया है।
मूंग की फसल को तत्काल एक अच्छी बारिश की सख्त जरूरत है। वर्षा में जितनी देर होगी, फसल की हालत उतनी ही बिगड़ती जाएगी। अगस्त का महीना राजस्थान में काफी हद तक शुष्क रहा है।