iGrain India - इंदौर । तिलहन-तेल क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण संस्था- सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) का कहना है कि देश के प्रमुख सोयाबीन उत्पादक राज्यों में अगस्त माह के दौरान मानसूनी वर्षा का भारी अभाव रहने से फसल के लिए खतरा बढ़ गया है।
हालांकि अभी तक इसे ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा है लेकिन फसल को तत्काल बारिश की सख्त आवश्यकता है और यदि इसमें देरी हुई तो राष्ट्रीय स्तर पर सोयाबीन की फसल प्रभावित हो सकती है। इसकी उपज दर में गिरावट आगे की वर्षा पर निर्भर करेगी।
फिलहाल सोयाबीन की पैदावार का अनुमान लगाना जल्दबाजी होगी। इसका उत्पादन कुल मिलाकर अगले एक-डेढ़ माह के दौरान मानसून के प्रदर्शन पर आश्रित रहेगा।
सोपा ने देश के तीनों शीर्ष उत्पादक राज्यों- मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र एवं राजस्थान में सोयाबीन फसल की हालत का गहरा आंकलन-विश्लेषण किया है।
मध्य प्रदेश के बारे में सोपा ने कहा है कि वहां सोयाबीन की फसल 45 से 60 दिनों तक की हो चुकी है और अब यह दाना लगने एवं भरने की अवस्था में पहुंच गई है।
जल्दी परिपक्व होने वाली किस्मों की अगैती बिजाई वाली फसल में दाना पुष्ट होने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। कुल मिलाकर फसल की हालत अभी सामान्य मानी जा सकती है।
चालू पखवाड़े के दौरान हुई वर्षा से फसल को कुछ राहत मिली है और कीड़ों-रोगों के प्रकोप पर भी नियंत्रण बना हुआ है। समूचे राज्य और खासकर पश्चिमी भाग में तत्काल वर्षा की आवश्यकता है अन्यथा फसल को नमी के भारी अभाव का सामना करना पड़ सकता है और इससे उपज दर पर गहरा प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
महाराष्ट्र में भी सोयाबीन की फसल 45 से 60 दिनों की पुरानी है और उसमें दाना लगने एवं भरने की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है हालत अभी सामान्य है। लेकिन विभिन्न भागों में तत्काल वर्षा की सख्त आवश्यकता है।
यदि बारिश में देर हुई तो फसल के स्वास्थ्य पर गहरा प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। मराठवाड़ा संभाग में वर्षा की कमी से सोयाबीन फसल की उपज दर प्रभावित होने की आशंका है जहां बड़े पैमाने पर इसकी खेती हुई है।
राजस्थान में भी सोयाबीन फसल की हालत अन्य दोनों राज्यों जैसी ही है और वहां कीड़ों-रोगों का कोई गंभीर प्रकोप नहीं है। यद्यपि कुल मिलाकर फिलहाल फसल की हालत सामान्य है लेकिन तत्काल अच्छी बारिश की सख्त आवश्यकता है।
यदि वर्षा में देर हुई तो स्थिति खराब हो सकती है। अन्य राज्यों में भी हालात लगभग समान हैं लेकिन हर जगह बारिश की जरूरत है।