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कमजोर मानसून से भारत में मसूर के आयात को मिल सकता है प्रोत्साहन

प्रकाशित 29/08/2023, 06:13 pm
कमजोर मानसून से भारत में मसूर के आयात को मिल सकता है प्रोत्साहन
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iGrain India - वैंकुवर । भारत में एक तो खरीफ कालीन दलहन फसलों के बिजाई क्षेत्र में काफी गिरावट आई है और दूसरे, दक्षिण-पश्चिम मानसून भी कमजोर बना हुआ है। इसके फलस्वरूप उत्पादन घटने की आशंका व्यक्त की जा रही है।

तुवर, उड़द एवं मूंग के साथ अब चना का घरेलू बाजार भाव बढ़कर न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊपर पहुंच गया है और मसूर का दाम भी समर्थन मूल्य के आसपास चल रहा है। इसे देखते हुए आगामी महीनों में देश के अंदर मसूर का आयात बढ़ने की उम्मीद की जा रही है।

एक अग्रणी विश्लेषक के अनुसार तुवर के बिजाई क्षेत्र में 6 प्रतिशत एवं उत्पादन में 15 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। तुवर के विकल्प के रूप में कनाडा से हरी मसूर का आयात बढ़ाया जा सकता है। भारत में तुवर की हालत सचमुच खराब है।

25 अगस्त तक देश में इसका कुल बिजाई क्षेत्र 104 लाख एकड़ पर पहुंच सका जो गत वर्ष के क्षेत्रफल से 5 प्रतिशत कम है। प्रमुख उत्पादक इलाकों में मानसून की अच्छी बारिश तब तक नहीं हुई तब तक बिजाई का आदर्श समय समाप्त नहीं हो गया। 1 जून से 25 अगस्त तक की अवधि में राष्ट्रीय स्तर पर मानसून की कुल वर्षा सामान्य औसत से 7 प्रतिशत कम हुई।

महाराष्ट्र, कर्नाटक एवं गुजरात तथा राजस्थान में कमजोर मानसून के कारण अगस्त में वर्षा का भारी अभाव रहा जबकि वहां वर्षा का वितरण भी असमान देखा गया।    

महाराष्ट्र और कर्नाटक भारत में तुवर के दो सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य है जहां इसका बिजाई क्षेत्र सरकार के कुल नियत लक्ष्य के आधा से कुछ अधिक रहता है। इस वर्ष अब तक महाराष्ट्र में 8 प्रतिशत एवं कर्नाटक में 19 प्रतिशत कम बारिश हुई है।

तुवर की कमी की भरपाई के लिए हरी मसूर का आयात बढ़ाया जा सकता है लेकिन इसके लिए यह देखना आवश्यक होगा की विदेशों से इन दोनों दलहनों का भारतीय बंदरघाओं पर आयात खर्च कितना बैठता है।

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