iGrain India - नई दिल्ली । उच्चतम न्यायालय ने जीएम सरसों की पर्यावरणीय रिलीज के साथ केन्द्र सरकार को आगे बढ़ने की अनुमति देने से यह कहते हुए इंकार कर दिया है कि सर्वप्रथम यह परीक्षण करने की आवश्यकता है कि पर्यावरण एवं परिस्थिति तंत्र को बरकरार रखा गया है।
केन्द्र सरकार ने पहले न्यायालय में यह आश्वासन दिया था कि वह अदालत की स्वीकृति के बगैर इस प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाएगी। बाद में सरकार ने न्यायालय से इस आश्वासन से मुक्त करने का आग्रह किया मगर कोर्ट ने ऐसा करने से इंकार कर दिया।
इसके साथ ही जीएम सरसों की व्यावसायिक खेती शुरू करने का मामला भी खटाई में पड़ गया। सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार से कहा कि यदि उसे आश्वासन से मुक्त कर दिया गया तो इस मामले में बचेगा ही क्या ? पर्यावरण को होने वाले नुकसान को बाद में सही नहीं किया जा सकता है। न्यायालय को सम्पूर्ण समस्या को अच्छी तरह समझना है।
इससे पूर्व सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कहा था कि जीएम सरसों की पर्यावरणीय रिलीज को स्वीकार किया जाए क्योंकि सरसों की बिजाई का सीजन तेजी से नजदीक आता जा रहा है।
अक्टूबर-नवम्बर में इसकी जोरदार बिजाई होने लगती है। सरकारी पक्ष का कहना था कि खाद्य सुरक्षा के संदर्भ में भारी नीतिगत प्रभाव देखा जा रहा है क्योंकि भारत खाद्य तेलों के आयात पर काफी हद तक आश्रित है।
सरकार ने व्यावसायिक रिलीज जारी नहीं किया है बल्कि सिर्फ पर्यावरणीय रिलीज की घोषणा की है ताकि आगे और अनुसंधान जारी रखा जा सके जो पिछले 12 वर्षों से चला आ रहा है।
सितम्बर- अक्टूबर में होने वाली बिजाई से कृषि वैज्ञानिकों को निरीक्षण-परीक्षण का अवसर मिल जाएगा। सरकार ने कोर्ट से एक बार फिर इसकी बिजाई की अनुमति देने का आग्रह किया ताकि इस पर हुआ अब तक का अनुसंधान व्यर्थ न हो जाए।
लेकिन न्यायालय ने इस दलील को अस्वीकार करते हुए कहा कि पहले पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है।