iGrain India - चंडीगढ़ । केन्द्र सरकार द्वारा 25 अगस्त को बासमती चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) 1200 डॉलर प्रति टन निर्धारित करने के बाद पंजाब-हरियाणा की मंडियों में बासमती धान एवं चावल का भाव नरम पड़ने लगा।
सरकार ने 15 अक्टूबर तक के लिए यह मेप लागू किया है। इसके दबाव से पंजाब तथा हरियाणा की मंडियों में पिछले कुछ दिनों के अंदर पूसा बासमती 1509 धान का भाव 500 रुपए घटकर 29 अगस्त को 3300 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गया। बासमती धान के संवर्ग में सबसे पहले 1509 नम्बर की ही कटाई शुरू होती है।
हरियाणा एवं पंजाब की विभिन्न मंडियों के व्यापारियों का कहना है कि पिछले सप्ताह 1509 धान का भाव 3800 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा था। इसकी परिपक्वता अवधि छोटी होती है और इसलिए मंडियों में इसकी आवक सबसे पहले शुरू हो जाती है।
करनाल के एक चावल निर्यातक का कहना है कि बासमती चावल के लिए जो मेप निर्धारित हुआ है वह व्यावहारिक नहीं है। यदि 15 अक्टूबर के बाद भी इसे जारी रखा गया तो घरेलू बाजार में बासमती धान का भाव घटकर और भी नीचे आ जाएगा।
आधिकारिक तौर पर उत्तरी राज्यों की मंडियों में 15 अक्टूबर के बाद बासमती धान की आवक जोर पकड़ने लगती है। निर्यातकों का कहना है की बासमती चावल पर इतने ऊंचे स्तर का न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) मध्य अक्टूबर से आगे बरकरार नहीं रखा जाना चाहिए अन्यथा धान का भाव तथा चावल का निर्यात बुरी तरह प्रभावित हो सकता है।
पंजाब के निर्यातकों के अनुसार किसान बासमती धान की खेती इसलिए करते हैं क्योंकि इसका मंडी भाव ऊंचा रहता है और इससे उन्हें अच्छी आमदनी होती है।
प्रीमियम क्वालिटी के इस बासमती चावल के वैश्विक निर्यात बाजार में भारत की भागीदारी 80 प्रतिशत के करीब रहती है जबकि शेष योगदान पाकिस्तान का रहता है।
करनाल के एक निर्यातक ने कहा कि ऊंचे स्तर का मेप निश्चित रूप से बासमती चावल के निर्यात को प्रभावित करेगा क्योंकि 1200 डॉलर प्रति टन पर चावल की खरीद करने वालों की संख्या सीमित हो जाएगी।
परिवहन (ट्रांजिट) में इस चावल की अनेक खेपें फंसी हुई है जिसका शिपमेंट रोक दिया गया है। इससे निर्यातकों को भारी आर्थिक नुकसान होने की आशंका है।
मालूम हो कि देश में बासमती चावल (धान) का उत्पादन पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली एवं जम्मू कश्मीर में होता है। राष्ट्रीय स्तर पर करीब 90 लाख टन बासमती चावल का उत्पादन होता है जिसमें से आधे भाग का निर्यात कर दिया जाता है।