iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार ने कहा है कि दोनों देशों के बीच विशिष्ट सम्बन्ध को देखते हुए सिंगापुर को चावल के निर्यात की स्वीकृति देने का निर्णय लिया गया है।
उल्लेखनीय है कि भारत से 20 जुलाई 2023 से ही गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा हुआ है जिससे वैश्विक बाजार में इसकी कीमतों में जोरदार तेजी आ गई है।
सिंगापुर ने भारत सरकार से इस निर्यात प्रतिबंध से छूट देने या अलग रखने का आग्रह किया था जिसे अब स्वीकार कर लिया गया है। यद्यपि सिंगापुर के साथ-साथ इंडोनेशिया एवं फिलीपींस ने भी निर्यात प्रतिबंध स्थगित रखने का अनुरोध किया था मगर अभी उस पर कोई फैसला नहीं हुआ है।
विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता के अनुसार सिंगापुर को चावल के निर्यात की अनुमति देने का औपचारिक आदेश शीघ्र ही जारी किया जाएगा। प्रवक्ता का कहना था कि भारत और सिंगापुर के बीच गहरे और मधुर सम्बन्ध हैं तथा काफी नजदीकी रणनीति साझेदारी भी है।
आपसी हितों, आर्थिक गठजोड़ तथा लोगों के बीच परस्पर मजबूत सम्पर्क के आधार पर द्विपक्षीय सम्बन्ध प्रगाढ़ हुए हैं। इस विशिष्ट संबंधों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने सिंगापुर की खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए उसे सफेद चावल का निर्यात करने की अनुमति देने का निर्णय लिया है।
घरेलू प्रभाग में चावल की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों में तेजी पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से भारत सरकार ने पिछले डेढ़ माह के अंदर तीन महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं।
पहले 20 जुलाई को सभी गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया और फिर 25 अगस्त को गैर बासमती सेला चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत का सीमा शुल्क लागू कर दिया गया। इसके साथ-साथ बासमती चावल के लिए 1200 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) निर्धारित किया गया जबकि टुकड़ी चावल (ब्रोकन राइस) का निर्यात सितम्बर 2022 से ही बंद है।