iGrain India - हैदराबाद । आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार पिछले साल लालमिर्च का उत्पादन क्षेत्र 8,52,413 हेक्टेयर रहा था जबकि समीक्षकों का मानना है कि चालू वर्ष के दौरान बिजाई क्षेत्र में 10-12 प्रतिशत की ओर वृद्धि हो सकती है क्योंकि एक तो इसका बाजार भाव ऊंचा तथा आकर्षक बना हुआ है और दूसरे, तेलंगाना जैसे राज्यों में कपास के बजाए किसान इस बार लालमिर्च की खेती पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।
हालांकि पिछले दो वर्षों के दौरान भारी वर्षा एवं रोगों-कीड़ों के प्रकोप से लालमिर्च की फसल को नुकसान हुआ मगर फिर भी इसकी खेती के प्रति किसानों में उत्साह एवं आकर्षण बरकरार है।
एक बीज उत्पादक कम्पनी का कहना है कि तेलंगाना में इस बार कपास का क्षेत्रफल काफी घट गया है क्योंकि कई क्षेत्रों में किसान लालमिर्च तथा धान की खेती को प्राथमिकता दे रहे हैं।
दक्षिण भारत में वर्षा का भी अभाव है। धान एवं कपास की फसल को ज्यादा पानी की आवश्यकता पड़ती है। यद्यपि लालमिर्च की फसल को भी पानी की जररूत है लेकिन इसकी सिंचाई संभव है। व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक बिजाई क्षेत्र में संभावित बढ़ोत्तरी का लालमिर्च के दाम पर कोई गंभीर असर पड़ने की संभावना है।
वर्तमान समय में तेलंगाना की खम्मम मंडी में लालमिर्च का भाव 24000/26000 रुपए प्रति क्विंटल के बीच चल रहा है जो गत वर्ष की समान अवधि के लगभग बराबर ही है।
वर्ष 2021 में इसका मूल्य केवल 11000/13000 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा था। विश्लेषकों के मुताबिक लालमिर्च की कीमतों में आगे ज्यादा गिरावट आना मुश्किल है।
समीक्षकों के अनुसार प्रतिकूल मौसम, प्राकृतिक आपदा एवं कीड़ों-रोगों के प्रकोप से उत्पादन प्रभावित होने के कारण पिछले दो वर्षों से लालमिर्च का बाजार भाव ऊंचा एवं कीड़ों-रोगों के प्रकोप से उत्पादन प्रभावित होने के आसार पिछले दो वर्षों से लालमिर्च का बाजार भाव ऊंचा चल रहा है।
लालमिर्च की फसल को खासकर ब्लैक थ्रिप्स कीट से भारी नुकसान होता है। इससे फसल की उपज दर एवं क्वालिटी काफी हद तक प्रभावित होती है। लालमिर्च का पिछला बकाया स्टॉक कम है जबकि घरेलू एवं निर्यात मांग मजबूत बनी हुई है।
ध्यान देने की बात है कि भारत दुनिया में लालमिर्च का सबसे प्रमुख उत्पादक, खपतकर्ता एवं निर्यातक देश है। मसालों के कुल निर्यात में मात्रा एवं आमदनी की दृष्टि से लालमिर्च प्रथम स्थान पर बरकरार है।