iGrain India - मुम्बई । अगस्त की कमजोर वर्षा से कपास फसल के प्रति बढ़ती चिंता के कारण पिछले दिन रूई का वायदा भाव 0.34 प्रतिशत सुधरकर 59,780 रुपए प्रति कैंडी (356 किलो) पर बंद हुआ।
कपास के तीनों शीर्ष उत्पादक राज्यों- गुजरात, महाराष्ट्र एवं तेलंगाना में बारिश का भारी अभाव महसूस किया जा रहा है जिससे फसल को नुकसान होने की आशंका बढ़ती जा रही है।
वैसे गुजरात में कपास का बिजाई क्षेत्र गत वर्ष के 25.45 लाख हेक्टेयर से करीब 5 प्रतिशत बढ़कर इस बार 26.79 लाख हेक्टेयर से कुछ ऊपर पहुंच गया है लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर इसका कुल क्षेत्रफल पिछले साल के 124.82 लाख हेक्टेयर से 1.82 प्रतिशत गिरकर इस बार 122.56 लाख हेक्टेयर रह गया। तेलंगाना में रकबा काफी घटने की सूचना है।
उल्लेखनीय है कि अक्टूबर 2022 से आरंभ होकर सितम्बर 2023 तक जारी रहने वाले वर्तमान मार्केटिंग सीजन में गेहूं मंडियों में रूई की कुल आवक पहले ही 318 लाख गांठ (170 किलो की प्रत्येक गांठ) की सीमा को पार कर चुकी है।
भारतीय कपास निगम (सीसीआई) ने यह आंकड़ा दिया जिसका समर्थन सॉदर्न इंडिया मिल्स एसोसिएशन (सीमा) ने किया है। एक संस्था ने कपास के उत्पादन में भारी गिरावट का अनुमान लगाया था।
जहां तक 2023-24 सीजन का सवाल है तो कपास के बिजाई क्षेत्र में थोड़ी गिरावट आने के साथ-साथ बारिश भी कम हुई है इसलिए उत्पादन घटने की आशंका व्यक्त की जा रही है।
पंजाब के अबोहर में नई कपास की आवक शुरू हो गई है जबकि मध्य सितम्बर से इसकी आपूर्ति की गति तेज होने की उम्मीद है। उसी समय हरियाणा एवं राजस्थान की अगैती फसल के माल का आना भी शुरू हो सकता है जबकि अक्टूबर से अन्य प्रमुख राज्यों में भी नई कपास आने लगेगी। इस बार का मानसून पिछले आठ वर्षों में सबसे कमजोर रहने के संकेत मिल रहे हैं। सितम्बर की वर्षा पर कपास का उत्पादन काफी हद तक निर्भर रहेगा।
व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक निकट भविष्य में सीमित चढ़ाव-उतार के साथ कपास का भाव एक निश्चित दायरे में घूमता रह सकता है। अब सरकार कपास पर लगे 11 प्रतिशत के आयात शुल्क को वापस नहीं लेना चाहेगी क्योंकि पांच-छह सप्ताह में देश के सभी प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों में इसके नए माल की आपूर्ति आरंभ होने की संभावना है।