iGrain India - नई दिल्ली । भारत सरकार ने भूटान, मारीशस एवं सिंगापुर की खाद्य सुरक्षा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उसे संयुक्त रुप से कुल 1.43 लाख टन गैर बासमती सफेद (कच्चे) चावल के निर्यात की अनुमति प्रदान कर दी है।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने इस आशय की अधिसूचना भी जारी कर दी है। 30 अगस्त को जारी इस अधिसूचना में कहा गया है कि इस चावल का निर्यात नेशनल को ऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लिमिटेड (एनसीईएल) द्वारा की जाएगी।
उल्लेखनीय कि इन देशों की सरकारों ने भारत सरकार से कच्चे गैर बासमती चावल का निर्यात जारी रखने का आग्रह किया था। इससे पूर्व नेपाल के प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा था कि भारतीय प्रधानमंत्री ने फोन वार्ता के दौरान नेपाल को चावल का निर्यात जारी रखने का आश्वासन दिया था।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार एनईसीएल को भूटान को 79 हजार टन, सिंगापुर को 50 हजार टन तथा मारीशस को 14 हजार टन सफेद गैर बासमती चावल का निर्यात शिपमेंट करने के लिए कहा गया है।
पिछले सप्ताह सिंगापुर ने कहा था कि घरेलू प्रभाग में आपूर्ति एवं उपलब्धता की जटिल स्थिति को देखते हुए भारत सरकार से सफेद चावल के निर्यात प्रतिबंध से छूट देने का आग्रह किया गया है।
इधर 29 अगस्त भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि सिंगापुर की खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकार ने उसे सफेद चावल के निर्यात की अनुमति देने का फैसला किया है और इसके अधिसूचना जारी कर दी। ज्ञात हो कि भारत से 20 जुलाई 2023 से ही गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा हुआ है।
सिंगापुर, भूटान और मारीशस- तीनों ही भारत के लिए राजनितिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण हैं और अक्सर भारतीय चावल पर ही निर्भर रहते हैं। इन देशों के साथ भारत के सम्बन्ध बहुत मजबूत हैं इसलिए इसकी खाद्य सुरक्षा जरूरतों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
समझा जाता है कि कुछ अफ़्रीकी देश भी भारत सरकार से कच्चे चावल के निर्यात का अनुरोध कर सकते हैं। इंडोनेशिया एवं फिलीपींस द्वारा चावल निर्यात प्रतिबंध को हटाने का आग्रह पहले ही किया जा चुका है लेकिन फिलहाल भारत सरकार ने उस पर कोई निर्णय नहीं लिया है।