iGrain India - बंगलोर । दक्षिण भारत के एक महत्वपूर्ण कृषि उत्पादक राज्य- कर्नाटक में चालू मानसून सीजन के दौरान अब तक सामान औसत के मुकाबले करीब 26 प्रतिशत कम बारिश हुई जिससे खरीफ फसलों को भारी नुकसान होने लगा है।
अगस्त में वहां वर्षा की कमी बढ़कर 75 प्रतिशत पर पहुंच गई। इसे देखते हुए वहां अगले 10 दिनों के अंदर फसल नुकसान का आंकलन किया जा सकता है और यदि अतिशीघ्र अच्छी वर्षा नहीं हुई तो मध्य सितम्बर तक राज्य को सूखा ग्रस्त क्षेत्र घोषित किया जा सकता है।
कर्नाटक के कृषि मंत्री का कहना है कि बारिश की भारी कमी के कारण फसल को हुई क्षति का आंकलन करने के लिए सर्वेक्षण का कार्य जारी है और 10 दिनों के बाद नुकसान का पता चल जाएगा।
कृषि मंत्री के अनुसार चालू वर्ष के दौरान कर्नाटक में 82.35 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बिजाई का लक्ष्य निर्धारित किया गया था मगर वास्तविक उत्पादन क्षेत्र 66.68 लाख हेक्टेयर तक ही पहुंच सका जो पिछले साल के कुल क्षेत्रफल 71.74 लाख हेक्टेयर से भी करीब 5 लाख हेक्टेयर कम है।
कर्नाटक में चालू मानसून सीजन के दौरान 1 जून से 30 अगस्त के बीच केवल 488 मि०मी० वर्षा हुई जो सामान्य औसत 660 मि०मी० से 26 प्रतिशत कम रही। अगस्त 2023 के दौरान कर्नाटक के कुल 31 जिलों में से 29 जिलों में बारिश की कमी 70 प्रतिशत से अधिक दर्ज की गई और लगातार तीन सप्ताहों तक राज्य में वर्षा नहीं हुई।
कृषि मंत्री के अनुसार कर्नाटक में 120 से अधिक तालुकाओं में मौसम बिल्कुल शुष्क एवं गर्म बना हुआ है जहां फसलों को नमी के भारी अभाव का सामना करना पड़ रहा है।
कृषि मंत्री के मुताबिक कृष्णा राजा सागर बांध में पानी का स्तर घट जाने के कारण कावेरी बेसिन में किसानों को पानी की अधिक जरूरत वाली फसलों जैसे गन्ना एवं धान की नई रोपाई नहीं करने के लिए कहा गया है क्योंकि इसकी सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं होगा।
मौसम विभाग के अनुसार इस वर्ष सामान्य औसत के मुकाबले दक्षिणी आंतरिक कर्नाटक में 30 प्रतिशत, तटीय कर्नाटक में 17 प्रतिशत एवं उत्तरी आंतरिक कर्नाटक में 11 प्रतिशत कम वर्षा हुई है।
कर्नाटक मंत्रिमंडल की उप समिति की बैठक 4 सितम्बर को होने वाली है जिसमें मौजूदा शुष्क माहौल तथा फसलों पर इसके असर पर विचार-विमर्श किया जाएगा। विभिन्न जिलों से स्थिति का विवरण एवं नुकसान का आंकड़ा एकत्रित किया जा रहा है। सम्पूर्ण हालात का विस्तार आंकलन विश्लेषण करने के बाद राज्य को सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित करने या नहीं करने का निर्णय लिया जाएगा।
कर्नाटक में तुवर की खेती बड़े पैमाने पर होती है मगर बारिश की कमी के कारण इस बार क्षेत्रफल घट गया। इसके अलावा वहां धान, मोटे अनाज, सोयाबीन, कपास एवं गन्ना सहित कई अन्य फसलों का भी उत्पादन होता है। कर्नाटक देश में गन्ना एवं चीनी का तीसरा सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य है।