iGrain India - नई दिल्ली । मौसम विभाग ने चालू माह (सितम्बर) के दौरान देश में दक्षिण-पश्चिम मानसून के सामान्य रहने एवं राष्ट्रीय स्तर पर अच्छी वर्षा होने का अनुमान लगाया है। लेकिन साथ ही यह भी कहा है कि अगस्त माह के दौरान पिछले 122 वर्षों में सबसे कम होने की संभावना है। सितम्बर में यदि सामान्य वर्षा होती है तो खरीफ फसलों को राहत मिल जाएगी।
मौसम विभाग के सापेक्ष 91 से 109 प्रतिशत के बीच वर्षा होने की उम्मीद है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक का कहना है कि सितम्बर में सामान्य या इससे अधिक बारिश होने के बावजूद जून-सितम्बर के चार मानसूनी महीनों में कुल वर्षा दीर्घकालीन औसत (एलपीए) से कम ही होगी।
मौसम विभाग द्वारा 1 जून से 31 अगस्त के दौरान वर्षा का जो आंकड़ा जारी किया गया है उससे चलता है कि इन तीन महीनों में राष्ट्रीय स्तर पर सामान्य औसत से 10 प्रतिशत कम वर्षा हुई जिसके लिए अगस्त का महीना जिम्मेवार है जिसमें वर्षा की कमी 36 प्रतिशत तक पहुंच गई।
यदि मौसम विभाग के अनुमान के अनुरूप सितम्बर में एलपीए की 109 प्रतिशत बारिश हुई तो इसकी मात्रा 183.01 मि०मि० बैठती है। जून से अगस्त के दौरान कुल 629.7 मि०मी० वर्षा हुई।
यदि इसमें सितम्बर की संभावित बारिश भी जोड़ दी जाये तो कुल वर्षा का 93.6 प्रतिशत ही रहेगा जो सामान्य स्तर से काफी नीचे है। चालू मानसून सीजन के लिए वर्षा का दीर्घकालीन औसत 868.60 मि०मी० नियत किया गया है।
96 प्रतिशत से कम वर्षा को सामान्य स्तर से नीचे माना जाता है। मौसम विभाग ने सितम्बर में उच्चतम वर्षा 109 प्रतिशत आंका है जबकि इसका न्यूनतम स्तर 91 प्रतिशत ही रखा है।
इसका मतलब यह हुआ कि इस वर्ष मानसूनी वर्षा का सामान्य औसत स्तर से नीचे रहना निश्चित है। जाहिर सी बात है कि खरीफ फसलों पर इसका नकारात्मक असर पड़ेगा और सरकार की चिंता बढ़ जाएगी जो खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। यह देखना भी जरुरी है कि सितम्बर में कब, कहां कितनी बारिश होती है।