iGrain India - मैसूर । देश के तीसरे सबसे प्रमुख कृषि उत्पादक राज्य-कर्नाटक में बारिश बहुत कम होने से पानी के लिए चिंता बढ़ गई है। वर्षा की कमी का संकट सिर्फ कर्नाटक को ही नहीं बल्कि देश के अधिकांश राज्यों को झेलना पड़ रहा है।
कर्नाटक तथा महाराष्ट्र में सूखे जैसा माहौल और भारी जल संकट देखा जा रहा है। 31 अगस्त को नई दिल्ली में आयोजित गन्ना एवं चीनी आयुक्तों की राष्ट्रीय बैठक में इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की गई।
बैठक में खुलासा किया गया कि दक्षिण-पश्चिम मानसून की कमजोर बारिश के कारण कर्नाटक तथा महाराष्ट्र का बिजाई क्षेत्र घट गया और इसकी क्वालिटी तथा उपज दर एवं चीनी की औसत रिकवरी दर में कमी आ सकती है।
उल्लेखनीय है कि कर्नाटक देश में चीनी का तीसरा सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य है। चीनी के उत्पादन में उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र उससे आगे है। देश में चीनी की करीब 10 प्रतिशत मांग को कर्नाटक पूरा करता है।
2022-23 में भी वहां गन्ना एवं चीनी के उत्पादन में कमी आई जबकि 2023-24 के सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) में उत्पादन और भी घटने की संभावना है। इससे आने वाले समय में चीनी का अभाव बढ़ सकता है और कीमतों में तेजी आ सकती है।
गन्ना विकास एवं चीनी निदेशालय के अधिकारियों का कहना है कि 2021-22 का सीजन कर्नाटक के गन्ना उत्पादकों के लिए शानदार रहा था लेकिन अब न केवल क्षेत्रफल घट गया है बल्कि बारिश की कमी से फसल का ठीक से विकास भी नहीं हो रहा है।
पिछले साल कर्नाटक में गन्ना का क्षेत्रफल 7.50 लाख हेक्टेयर रहा था जो चालू वर्ष में करीब एक लाख हेक्टेयर घट गया। गत वर्ष राज्य में 705 लाख टन गन्ना का उत्पादन हुआ था मगर इस बार उत्पादन घटकर 520 लाख टन के आसपास रह जाने की संभावना है।
इसी तरह गन्ना की औसत उपज दर भी 94 टन प्रति हेक्टेयर से गिरकर 80 टन प्रति हेक्टेयर पर सिमटने का अनुमान है। पिछले सीजन के दौरान राज्य में 6.10 करोड़ टन गन्ना की क्रशिंग हुई थी जबकि इस बार क्रशिंग 4-5 करोड़ टन के बीच हो सकती है।
दक्षिणी कर्नाटक में साल में दो बार गन्ना की क्रशिंग होती है जबकि शेष भारत में एक ही बार क्रशिंग होती है। वहां जुलाई-अगस्त में क्रशिंग का विशेष सत्र आयोजित होता है।