iGrain India - गन्ना का क्षेत्रफल 4.26 लाख हेक्टेयर बढ़ा- मगर चीनी उत्पादन बेहतर होने में संदेह
नई दिल्ली । हालांकि राष्ट्रीय स्तर पर गन्ना का उत्पादन क्षेत्र इस बार तेजी से बढ़कर 59.91 लाख हेक्टेयर के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया है जो पिछले साल के बिजाई क्षेत्र 55.65 लाख हेक्टेयर से 4.26 लाख हेक्टेयर ज्यादा है लेकिन मानसूनी वर्षा की भारी कमी के कारण कुछ अग्रणी उत्पादक राज्यों में गन्ना की औसत उत्पादकता एवं चीनी की रिकवरी में कमी आने की आशंका है।
दरअसल इस वर्ष अप्रैल-मई तक चीनी का निर्यात जारी रहने के कारण मिलों को अच्छी आमदनी प्राप्त हुई इसलिए किसानों को गन्ना के मूल्य का भुगतान सही समय पर मिल गया जिससे उन्हें इसका क्षेत्रफल बढ़ाने का प्रोत्साहन मिला।
सरकार ने 2023-24 के मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) के लिए गन्ना का 'उचित एवं लाभकारी मूल्य' (एफआरपी) भी बढ़ा दिया है। चीनी का घरेलू बाजार भाव मिलर्स के लिए अब भी आकर्षक बना हुआ है इसलिए आगामी सीजन में वे अधिक से अधिक मात्रा में गन्ना की क्रशिंग का प्रयास कर सकती हैं।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले साल की तुलना में चालू वर्ष के दौरान गन्ना का उत्पादन क्षेत्र मुख्यत: उत्तर प्रदेश में 23.60 लाख हेक्टेयर से 3.91 लाख हेक्टेयर उछलकर 27.51 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा जो इसका सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। इसके अलावा गन्ना का बिजाई क्षेत्र महाराष्ट्र में 13.46 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 14.37 लाख हेक्टेयर तथा कर्नाटक में 5.58 लाख हेक्टेयर से घटकर 6.56 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया।
दूसरी ओर गन्ना क्षेत्रफल आंध्र प्रदेश में 47 हजार हेक्टेयर से गिरकर 37 हजार हेक्टेयर, गुजरात में 2.32 लाख हेक्टेयर से घटकर 1.91 लाख हेक्टेयर तथा बिहार में 2.35 लाख हेक्टेयर से फिसलकर 2.24 लाख हेक्टेयर रह गया। देश के अन्य राज्यों में भी गन्ना का रकबा गत वर्ष के 7.87 लाख हेक्टेयर से घटकर इस बार 6.94 लाख हेक्टेयर पर अटक गया जिसमें तेलंगाना, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, राजस्थान एवं उड़ीसा आदि शामिल है।
असली समस्या मौसम एवं मानसून की है। देश के दूसरे एवं तीसरे सबसे प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य- महाराष्ट्र तथा कर्नाटक में वर्षा का अभाव होने से फसल सूखने लगी है। गुजरात एवं तमिलनाडु में भी हालत अच्छी नहीं है लेकिन उत्तर प्रदेश में स्थिति कुल मिलाकर सामान्य मानी जा सकती है।