iGrain India - छतरपुर । बुंदेलखंड संभाग के मध्य प्रदेश वाले क्षेत्र में पिछले दो-तीन सप्ताहों से वर्षा नहीं होने तथा तापमान ऊंचा रहने से खरीफ फसलों के सूखने का खतरा पैदा हो गया है। इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है।
कृषि विभाग का कहना है कि धान, मूंग और मूंगफली की फसल सूखने के कगार पर पहुंच गई है। इसी तरह वहां उड़द एवं तिल की फसल को भी नुकसान हो रहा है।
वैसे भी आमतौर पर उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश के सीमावर्ती बुंदेलखंड में बारिश कम होती है जबकि इस बार वर्षा का अभाव ज्यादा गंभीर है। वहां अक्सर प्राकृतिक आपदाओं से फसलें खतिग्रस्त हो जाती हैं। कहीं-कहीं कीड़ों-रोगों का प्रकोप भी बढ़ गया है।
शुष्क एवं गर्म मौसम के कारण खेतों की मिटटी सूख गई है और फसलों को पर्याप्त नमी नहीं मिल रही है। कृषि विभाग को आशंका है कि यदि शीघ्र ही अच्छी बारिश नहीं 40 से 50 प्रतिशत तक फसल बर्बाद हो जाएगी।
उधर मौसम विभाग ने सितम्बर के दूसरे सप्ताह में वर्षा होने का अनुमान व्यक्त किया है जबकि बीच में फसलों पर कीड़ों का प्रकोप बढ़ सकता है। शुष्क एवं गर्म मौसम का सर्वाधिक प्रतिकूल असर धान, मूंग, उड़द एवं मूंगफली की फसल पर पड़ने की आशंका है।
मूंग की फसल को कई अन्य क्षेत्रों में भी भारी नुकसान होने के संकेत मिल रहे हैं। कीड़ों-रोगों से फसलों को बचाने के लिए कीटनाशी दवाओं का छिड़काव हो रहा है जिससे लागत खर्च बढ़ गया है।
ऐसी हालत में यदि फसल पानी के अभाव में क्षतिग्रस्त होती है तो किसानों को दोहरा नुकसान हो जाएगा। कम नमी के कारण फसलें पीली पड़ने लगी हैं और उस पर माहू तथा इल्ली का प्रकोप बढ़ता जा रहा है।
दिलचस्प तथ्य यह है कि छतरपुर जिले में इस बार शुरूआती चरण के दौरान बारिश सही समय पर शुरू हुई और जुलाई तक उसकी हालत अच्छी रही। इससे वहां खरीफ फसलों का उत्पादन क्षेत्र नियत लक्ष्य के काफी करीब पहुंच गया। मूंगफली का रकबा भी 89 प्रतिशत तक पहुंचा। लेकिन मानसून के लम्बे ब्रेक ने किसानों की आशा को निराशा में बदल दिया है।