iGrain India - इंदौर । टमाटर का भाव शीर्ष स्तर से नीचे आने तथा रसोई गैस का दाम कुछ घटाए जाने से आम लोगों को जो राहत मिलने वाली थी उसे दाल-दलहन की ऊंची कीमतें निगल रही हैं।
पिछले एक माह के दौरान सभी किस्मों की दालों के दाम में लगभग 20 प्रतिशत का इजाफा दर्ज किया गया। महाराष्ट्र एवं कर्नाटक में बारिश की कमी से दलहन फसलों पर बुरा असर पड़ रहा है और इसके उत्पादन में भारी गिरावट आने की आशंका बढ़ती जा रही है इसलिए निकट भविष्य में इसका भाव ज्यादा नीचे आना मुश्किल लगता है।
कम वर्षा के कारण खरीफ कालीन तिलहन फसलों को भी भारी नुकसान हो रहा है इसलिए आने वाले समय में यदि खाद्य तेलों का दाम भी तेज हो जाए तो कोई हैरानी की बात नहीं होगी।
प्रमुख उत्पादक राज्यों में सूखे जैसे स्थिति बरकरार रहने से दाल-दलहन बाजार को ऊपर उठने का अवसर मिल रहा है। उम्मीद की जा रही थी कि अफ्रीकी देशों से नई तुवर का आयात शुरू होने पर घरेलू बाजार में इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ेगी और कीमतों में नरमी आएगी लेकिन अभी तक वास्तविक धरातल पर इसका कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिख रहा है।
दरअसल विदेशों से आयातित दलहन भी महंगा बैठ रहा है। भोपाल में तुवर दाल का खुदरा भाव अगस्त के आरंभ में 130-135 रुपए प्रति किलो था जो अब बढ़कर 160 रुपए प्रति किलो हो गया है।
इसी तरह चना दाल का दाम भी इस अवधि में 70 रुपए प्रति किलो से उछलकर 88 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गया है। व्यापार विश्लेषकों के अनुसार महाराष्ट्र एवं कर्नाटक में तुवर की फसल प्रभावित हुई है जिसका असर दिखाई पड़ने लगा है।
यद्यपि भोपाल के मार्केट में दालों का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है मगर घबराहटपूर्ण माहौल होने के कारण कीमतों में उछाल आ रहा है। हालांकि केन्द्र सरकार दाल-दलहन की कीमतों को नीचे लाने का हर संभव प्रयास कर रही है लेकिन उसके पास चना को छोड़कर अन्य दलहनों का ज्यादा स्टॉक नहीं है। तुवर, उड़द एवं मूंग के साथ-साथ चना का दाम भी तेज होता जा रहा है।