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कपास के नए माल की आवक शुरू- भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊंचा

प्रकाशित 05/09/2023, 06:29 pm
अपडेटेड 05/09/2023, 06:45 pm
कपास के नए माल की आवक शुरू- भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊंचा
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iGrain India - भटिंडा । देश के उत्तरी एवं दक्षिणी उत्पादक राज्यों की मंडियों में कपास के नए माल की आवक शुरू हो चुकी है और इसका भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ऊपर चल रहा है।

पंजाब के भटिंडा में स्थित संस्था- इंडियन कॉटन एसोसिएशन के अनुसार चालू वर्ष के दौरान कपास की आवक कुछ जल्दी शुरू हो गई और फिलहाल करीब 3000 गांठ (170 किलो की प्रत्येक गांठ) रूई की औसत दैनिक आवक हो रही है।

इसकी मांग धीरे-धीरे जोर पकड़ेगी। मध्य सितम्बर के बाद मंडियों में कपास की अच्छी आपूर्ति शुरू हो जाने की उम्मीद है। एसोसिएशन के उपाध्यक्ष का कहना है कि इस बार फसल की स्थिति गत वर्ष से बेहतर है और इसकी क्वालिटी अच्छी देखी जा रही है।

वैसे पंजाब के कुछ भागों में कपास की फसल पर गुलाबी इल्ली (पिंक बॉलवर्म) कीट के प्रकोप का मामला सामने आया है। उत्तरी भारत की मंडियों में कपास (गैर प्रसंस्कृत रूई) का दाम 7000 रुपए प्रति क्विंटल से ऊपर चल रहा है।

उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार ने 2023-24 के मार्केटिंग सीजन के लिए कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य लम्बे रेशे वाली किस्म का 7020 रुपए प्रति क्विंटल तथा माध्यम रेशेवाली श्रेणी का 6620 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। 

एसोसिएशन के मुताबिक राजस्थान में कपास की फसल को इस समय वर्षा की आवश्यकता पड़ती है लेकिन वहां बारिश का अभाव है। 15 सितम्बर के बाद वहां तस्वीर स्पष्ट हो पाएगी।

उधर तेलंगाना, कर्नाटक एवं महाराष्ट्र के कुछ महत्वपूर्ण कपास उत्पादन क्षेत्रों में पिछले दो-तीन दिन के दौरान थोड़ी-बहुत बारिश होने की खबर है जबकि अगस्त का लगभग पूरा महीना सूखा रहा था। 

पिछले सप्ताह आईसीई में कीमतों के प्रचलित रुख तथा विलम्बित वर्षा के कारण कपास के दाम में तेजी-मजबूती का माहौल देखा जा रहा है। रूई का वायदा भाव 60,000 रुपए से बढ़कर 62,500 रुपए प्रति कैंडी (356 किलो) पर पहुंच गया।

केवल वहीँ मिलें रूई की थोड़ी-बहुत खरीद कर रही हैं जिसके पास स्टॉक कम बचा है। नेशनल कॉटन ब्रोकर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष के अनुसार रूई की उपलब्धता का मामला बिलकुल भी गंभीर नहीं है लेकिन मिलर्स ऊंचे दाम पर इसकी खरीद का भार बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं क्योंकि निर्मित उत्पादों की मांग कमजोर है तथा घरेलू एवं निर्यात बाजार में कॉटन यार्न का कारोबार धीमा चल रहा है। 

तेलंगाना, आंध्र प्रदेश एवं कर्नाटक की कुछ मंडियों जैसे कुर्नूल, नांदपाल, येम्मीगानूर, अदोनी तथा रायचूर में कपास की अगैती बिजाई वाली फसल की आपूर्ति हो रही है।

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