iGrain India - मुम्बई । घरेलू उत्पादन में आगामी सीजन के दौरान गिरावट आने की संभावना से पिछले एक पखवाड़े के दौरान चीनी का भाव 3 प्रतिशत से ज्यादा बढ़कर अब गत 6 वर्षों के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया है।
उद्योग-व्यापार क्षेत्र के समीक्षकों का कहना है कि प्रमुख उत्पादक राज्यों में सीमित वर्षा होने से चीनी उत्पादन के प्रति चिंता बढ़ती जा रही है। ऐसी हालत में सरकार को अगले कुछ महीनों तक चीनी के निर्यात की अनुमति देने में भारी कठिनाई होगी।
बम्बई शुगर मर्चेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष का कहना है कि चीनी मिलों को इस बात की चिंता है कि सूखे की वजह से 2023-24 के मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) के दौरान घरेलू उत्पादन में भारी गिरावट आ सकती है जबकि उसके पास लम्बा-चौड़ा पिछला बकाया स्टॉक भी नहीं रहेगा।
इसके फलस्वरूप मिलर्स नीचे दाम पर चीनी बेचने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। चीनी के ऊंचे दाम से उत्पादकों के मार्जिन में वृद्धि होगी और गन्ना उत्पादकों को सही समय पर भुगतान करने में सहायता मिलेगी।
एक अग्रणी उद्योग संस्था ने 2022-23 सीजन की तुलना में 2023-24 सीजन के दौरान चीनी का घरेलू उत्पादन 3.3 प्रतिशत घटकर 3.17 लाख टन रह जाने का अनुमान लगाया है।
उसका कहना है कि महाराष्ट्र और कर्नाटक में कम वर्षा होने से गन्ना फसल की उपज दर घटेगी और चीनी की रिकवरी दर में भी कमी आएगी। मालूम हो कि इन दोनों राज्यों में संयुक्त रूप से देश की आधी चीनी का उत्पादन होता है।
हालांकि चीनी का घरेलू भाव 5 सितम्बर को बढ़कर 37,760 रुपए (454.80 डॉलर) प्रति टन पर पहुंच गया जो अक्टूबर 2017 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है लेकिन फिर भी यह वैश्विक सफेद चीनी के बेंचमार्क मूल्य से करीब 38 प्रतिशत नीचे है। अगले महीने से चीनी उत्पादन का नया मार्केटिंग सीजन आरंभ होने वाला है।