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जो बाइडेन के भारत आने से पूर्व अमरीकी मसूर एवं काबुली चना पर आयात शुल्क में भारी कटौती

प्रकाशित 06/09/2023, 01:26 pm
अपडेटेड 06/09/2023, 01:45 pm
जो बाइडेन के भारत आने से पूर्व अमरीकी मसूर एवं काबुली चना पर आयात शुल्क में भारी कटौती

iGrain India - नई दिल्ली । अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडेन 7 सितम्बर को भारत के लिए प्रस्थान करेंगे और 8 सितम्बर को भारतीय प्रधानमंत्री के साथ महत्वपूर्ण मीटिंग में कई अहम मुद्दों पर बातचीत करेंगे।

इससे पूर्व ही केन्द्र सरकार ने राजनैतिक रणनिति के तहत अमरीकी मसूर एवं काबुली चना पर आयात शुल्क में भारी कटौती की घोषणा कर दी जो आज यानि 6 सितम्बर से प्रभावी हो गई है।

मालूम हो कि अभी तक केवल अमरीकी मसूर पर 22 प्रतिशत का आयात शुल्क लागू था। जबकि कनाडा एवं ऑस्ट्रेलिया सहित अन्य देशों से आयातित मसूर पर कोई सीमा शुल्क नहीं लगता था।

केन्द्र सरकार ने अब अमरीकी मसूर पर भी आयात शुल्क घटाकर शून्य प्रतिशत नियत कर दिया है। सीमा शुल्क लागू होने अमरीका को भारत में सीधे मसूर का निर्यात करने में कठिनाई होती थी इसलिए कनाडा की कंपनियां वहां से मसूर खरीद कर भारत में सीधे मसूर का निर्यात करने में कठिनाई होती थी इसलिए कनाडा की कंपनियां वहां से मसूर खरीदकर भारत भेजती थी। लेकिन अब अमरीका के निर्यातक सीधे भारत को इसका शिपमेंट कर सकते हैं। 

इसी तरह काबुली चना के आयात पर भारत में सामान्यत: 44 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगता है जबकि अमरीकी काबुली चना पर 77 प्रतिशत का भारी-भरकम आयात शुल्क लागू था। सरकार ने अब इसे घटाकर 44 प्रतिशत निर्धारित कर दिया है जिसका मतलब यह हुआ कि अब भारत में अमरीकी काबुली चना पर आयात शुल्क घटकर अन्य आपूर्तिकर्ता देशों के बराबर आ गया है। 

अमरीका में मसूर के कुल उत्पादन में हरी मसूर का योगदान 65 प्रतिशत तथा लाल मसूर का अंशदान 35 प्रतिशत रहता है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार अमरीका में पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष मसूर का कुल बिजाई क्षेत्र 19 प्रतिशत घटकर 5.30 लाख एकड़ पर अटक गया जिससे वहां मसूर का कुल उत्पादन भी गिरकर 2.50 लाख टन के आसपास रह जाने का अनुमान है।

चूंकि वहां लाल मसूर का सीमित उत्पादन होता है जबकि भारत में इसका ही ज्यादा आयात होता है इसलिए सीमा शुल्क की समाप्ति के बावजूद भारतीय बाजार पर अमरीकी मसूर का कोई खास असर नहीं पड़ेगा। 

जहां तक काबुली चना का सवाल है तो चालू वर्ष के दौरान अमरीका में इसका उत्पादन 2.30 लाख टन के करीब होने का अनुमान है जबकि इस पर अब अन्य देशों की भांति 44 प्रतिशत का आयात शुल्क लगेगा। इसे देखते हुए भारतीय बाजार पर इसका भी कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा। काबुली चना के घरेलू उत्पादन में इस बार कुछ बढ़ोत्तरी हुई है।

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