iGrain India - नई दिल्ली । अगस्त में मानसूनी वर्षा के अभाव एवं ऊंचे तापमान की वजह से गन्ना की फसल प्रभावित होने की आशंका बढ़ी तो घरेलू चीनी बाजार पर इसका स्पष्ट प्रभाव दिखाई पड़ने लगा और कीमतों में तेजी आने लगी।
महाराष्ट्र में इसका विशेष असर देखा हालांकि सरकार ने सितम्बर माह के लिए एक मुश्त 25 लाख टन चीनी का फ्री सेल (NS:SAIL) कोटा देश भर की मिलों के लिए निर्धारित कर दिया है जबकि अगस्त माह के लिए दो चरणों में 25.50 लाख टन का कोटा नियत किया था लेकिन चीनी की कीमतों पर इसका कोई असर दिखाई नहीं पड़ रहा है।
त्यौहारी सीजन में चीनी की मांग एवं खपत के साथ-साथ कीमतों में इजाफा होना कोई नई बात नहीं है लेकिन इस बार दाम बढ़ने का एक और कारण भी है। चीनी मिलर्स को लगता है कि महाराष्ट्र और कर्नाटक में बारिश की कमी से गन्ना की फसल को हुए नुकसान के कारण 2023-24 सीजन के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर चीनी का उत्पादन घट जाएगा और इसका भाव ऊंचा तथा तेज रहेगा।
इसे ध्यान में रखते हुए मिलर्स अधिक से अधिक मात्रा में चीनी का स्टॉक बचाकर रखना चाहते हैं और नीचे दाम पर इसकी बिक्री करने के इच्छुक नहीं है। दूसरी ओर सरकार चाहती है कि मिलर्स अपने नियत कोटे की पूरी चीनी की बिक्री सही समय पर करे ताकि घरेलू बाजार में इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति सुगम बनी रहे और कीमतों में ज्यादा उछाल न आए।
वैसे भी लम्बे समय से चीनी का खुदरा बाजार भाव 40-45 रुपए प्रति किलो के बीच बरकरार है जिससे उपभोक्ताओं को कठिनाई हो रही है। दिल्ली और इंदौर जैसे मार्केट में चीनी का थोक ही 3900-4000 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच चुका है।
सरकार को आगे इसमें और बढ़ोत्तरी का डर सता रहा है। हालांकि देश में चीनी की कमी नहीं है और आगामी महीनों में इसकी उपलब्धता बढ़ने वाली है लेकिन कीमतों में ज्यादा नरमी आना मुश्किल लगता है।