iGrain India - नई दिल्ली । खाद्य उत्पाद संवर्ग में महंगाई की दर जून में 4.55 प्रतिशत थी जो जुलाई में उछलकर 11.5 प्रतिशत पर पहुंच गई। अगस्त में भी महंगाई दर इसके आसपास ही रहने का अनुमान है।
सरकार को उम्मीद है कि चालू माह यानी सितम्बर में खाद्य महंगाई कहा घटेगी क्योंकि टमाटर सहित कुछ अन्य सब्जियों का दाम कम हुआ है। मार्च-अप्रैल की बेमौसम वर्षा एवं चालू मानसून सीजन के दौरान अगस्त के सूखे ने बाजार का समीकरण बिगाड़ दिया है।
यद्यपि मानसून सीजन के दौरान जुलाई में अच्छी बारिश हुई जिससे खरीफ फसलों की बिजाई से काफी सहायता मिली लेकिन जून एवं अगस्त में वर्षा का अभाव रहा। अगस्त के कमजोर मानसून का असर खरीफ उत्पादन पर पड़ेगा जिसे आगे भी कुछ खाद्य उत्पादों की कीमतें ऊंची एवं तेज रह सकती हैं।
ध्यान देने की बात है कि जुलाई में मुख्यत: सब्जियों का दाम ऊंचा होने से खाद्य महंगाई नहीं बढ़ी बल्कि अनाज, दाल और मसालों की ऊंची कीमतों ने भी इसमें काफी योगदान दिया था। अगस्त में भी इन जिंसों की कीमतों में तेजी देखी गई इसलिए जब तक सरकारी आंकड़ा सामने नहीं आ जाता तब तक खाद्य महंगाई का स्तर अगस्त में भी ऊंचा ही माना जाएगा।
इसमें कोई संदेह नहीं कि केन्द्र सरकार खाद्य महंगाई के ग्राफ को नीचे लाने का हर संभव प्रयास कर रही है। अगस्त में सेला गैर बासमती चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगाया गया और बासमती चावल के 1200 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य नियत किया गया।
अब मसूर के लिए अनिवार्य स्टॉक खुलासे का नियम लागू किया गया है। जुलाई में दलहनों में महंगाई दर 13.27 प्रतिशत पर पहुंच गई थी क्योंकि तुवर उड़द एवं मूंग का दाम बढ़ गया था। अगस्त में उसके मूल्य में कोई खास गिरावट नहीं आई जबकि चना का भाव तेज हो गया।