iGrain India - ब्रिसबेन । ऑस्ट्रेलिया में इस वर्ष अल नीनो मौसम चक्र के प्रकोप से अधिकांश फसलों का उत्पादन प्रभावित होने की आशंका है जिसमें मसूर भी शामिल है।
केन्द्रीय एजेंसी अबारेस के अनुसार 2022-23 सीजन के दौरान ऑस्ट्रेलिया में मसूर का उत्पादन तेजी से उछलकर 16.87 लाख टन के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया था जो 2023-24 के वर्तमान सीजन में करीब 4.60 लाख टन घटकर 12.28 लाख टन पर सिमट जाने की संभावना है।
फिर भी यह अब तक का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादन होगा। इससे पूर्व ऑस्ट्रेलिया में 2021-22 सीजन के दौरान 10 लाख टन, 2020-21 में 8.54 लाख टन एवं 2019 -20 के सीजन में 5.26 लाख टन मसूर का उत्पादन दर्ज किया गया था।
दिलचस्प तथ्य यह है कि करीब दो दशक पूर्व तक ऑस्ट्रेलिया में मसूर का उत्पादन नहीं या नगण्य होता था। वर्ष 1990-91 एवं 91-92 में उत्पादन बिल्कुल नहीं हुआ और 1994-95 तक महज 1.2 हजार टन का ही उत्पादन हुआ।
वर्ष 1998-99 तक वहां मसूर का सालाना उत्पादन 40 हजार टन से नीचे था। 1999-2000 के सीजन में पहली बार वहां मसूर का उत्पादन एक लाख टन की सीमा को पार करके 1.15 लाख टन पर पहुंचा।
इसके बाद वर्ष 2004-05 तक उत्पादन घटते-बढ़ते 52 हजार टन से लेकर 1.53 लाख टन के बीच घूमता रहा। पुनः 2005-06 में बढ़कर 2.95 लाख टन पर पहुंचने के बाद वर्ष 2009-10 तक 1.50 लाख टन से नीचे रहा। 2010-11 में यह 3.80 लाख टन तक पहुंच गया मगर 2015-16 तक यह 3.00 लाख टन से कम रहा।
2016-17 में उत्पादन उछलकर 6.80 लाख टन हो गया जो 2017-18 में घटकर 5.43 लाख टन एवं 2018-19 में गिरकर 3.59 लाख टन रह गया। 2019-20 के सीजन में यह सुधरकर 5.26 लाख टन पर पहुंचा और उसके बाद से बढ़ने लगा।
ऑस्ट्रेलिया के मसूर उत्पादकों एवं निर्यातकों को भारत का विशाल बाजार हाथ लग गया है। हालांकि अभी तो मार्च 2024 तक भारत में मसूर का आयात पूरी तरह शुल्क मुक्त रहेगा लेकिन द्विपक्षीय व्यापार समझौते के तहत भारत सरकार ने ऑस्ट्रेलिया से प्रति वर्ष 1.50 लाख टन मसूर के आयात का कोटा निर्धारित कर दिया है।