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मोटे अनाजों की फसल को भी अगस्त के सूखे से नुकसान

प्रकाशित 07/09/2023, 02:45 pm
अपडेटेड 07/09/2023, 03:15 pm
मोटे अनाजों की फसल को भी अगस्त के सूखे से नुकसान
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iGrain India - नई दिल्ली । मौसम विभाग के अनुसार इस वर्ष अगस्त का महीना पिछले सौ से अधिक साल में सबसे ज्यादा गर्म एवं सूखा रहा और राष्ट्रीय स्तर पर सामान्य औसत की तुलना में करीब 36 प्रतिशत कम वर्षा हुई।

इसके अन्य खरीफ फसलों की भांति मोटे अनाजों की फसल को भी नुकसान हुआ। दरससल खरीफ सीजन के दौरान राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात एवं कर्नाटक जैसे राज्यों में मोटे अनाजों की खेती बढ़े पैमाने पर होती है जिसमें ज्वार, बाजरा, मक्का एवं रागी के साथ-साथ स्मॉल मिलेट्स भी शामिल है।

अगस्त माह में इन सभी राज्यों में वर्षा का घोर अभाव देखा गया। यह सही है कि मोटे अनाजों की फसल में सूखे को सहने की अधिक क्षमता होती है लेकिन उसकी एक सीमा है और उसके बाद फसलों के सूखने का सिलसिला आरंभ हो जाता है।

राष्ट्रीय स्तर पर मोटे अनाजों का कुल उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष के 179.10 लाख हेक्टेयर से बढ़कर इस बार 181.10 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा है। इसके तहत मक्का का बिजाई क्षेत्र 80.66 लाख हेक्टेयर से उछलकर 82.86 लाख हेक्टेयर, बाजरा का क्षेत्रफल 70.41 लाख हेक्टेयर से सुधरकर 70.81 लाख हेक्टेयर तथा रागी का रकबा 7.73 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 8.13 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा है जबकि ज्वार का बिजाई क्षेत्र 15.57 लाख हेक्टेयर से घटकर 14.06 लाख हेक्टेयर रह गया। 

उम्मीद की जा रही है कि सितम्बर की अच्छी बारिश से मोटे अनाजों की फसलों को काफी राहत मिलेगी और इसके उत्पादन में गिरावट की संभावना घट जाएगी। किसानों की चिंता अभी समाप्त नहीं हुई है।

कम उत्पादन की संभावना से मक्का का बाजार भाव तेज होने के संकेत मिलने लगे हैं। अन्य अनाजों में भी तेजी आने की उम्मीद है। गन्ना का उत्पादन क्षेत्र मध्य प्रदेश एवं कर्नाटक में बढ़ा है जबकि उत्तर प्रदेश में घट गया है। गुजरात, बिहार एवं राजस्थान जैसे प्रांतों में इसका बिजाई क्षेत्र गत वर्ष के लगभग आसपास ही है।

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