iGrain India - मुम्बई । देश के उत्तरी एवं दक्षिणी उत्पादक राज्यों में कपास के नए माल की आपूर्ति आरंभ होने से रूई का वायदा मूल्य स्थिर होने लगा है। पिछले दिन यह 0.7 प्रतिशत के मामूली सुधार के साथ 60,980 रुपए प्रति कैंडी (356 किलो) पर बंद हुआ। पिछले साल की तुलना में चालू वर्ष के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर कपास के रकबे में करीब 3.65 लाख हेक्टेयर की गिरावट आ गई जिसका प्रमुख कारण सही समय पर अच्छी वर्षा नहीं होना माना जा रहा है। देश के सबसे सबसे प्रमुख कपास उत्पादक राज्य-गुजरात में इस कर्नाटक वर्षा नहीं हुई है। इसी तरह महराष्ट्र एवं तेलंगाना जैसी दूसरे-तीसरे नम्बर के उत्पादक राज्य में भी अगस्त माह के दौरान वर्षा की भारी कमी महसूस की गई। पिछला बकाया स्टॉक कम होने से रूई की आपूर्ति की स्थिति जटिल बनी हुई है जबकि इसकी मांग भी ज्यादा मजबूत नहीं है।
उत्तरी भारत में पंजाब तथा दक्षिणी भारत में कर्नाटक की मंडियों में नई कपास की आवक शुरू हो चुकी है जबकि मौसम अनुकूल रहने पर मध्य सितम्बर से इसकी आपूर्ति की रफ्तार जोर पकड़ने की उम्मीद है। मंडियों में नई कपास का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊंचा चल रहा है। कपास की नई आवक इस बार नियत समय से कुछ पहले शुरू हो गई और फिलहाल मंडियों में रोजाना औसतन 3000 गांठ (170 किलो की प्रत्येक गांठ) कपास की आपूर्ति होने की सूचना मिल रही है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार 15 सितम्बर के बाद कपास की आवक एवं मांग में क्रमिक से बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है। कुल मिलाकर चालू सीजन के दौरान कपास की क्वालिटी पिछले सीजन से बेहतर रहने के आसार हैं। वैसे पंजाब के कुछ उत्पादक क्षेत्रों में कपास की फसल पर पिंक बॉलवर्म कीट का प्रकोप होने की सूचना मिल रही है। दक्षिण भारत में तेलंगाना, आंध्र प्रदेश एवं कर्नाटक में जहां बोरवेल के पानी का उपयोग करके कपास की खेती की गई वहां नई फसल की कटाई-तैयारी होने लगी है। वायदा में अभी शॉर्ट कवरिंग चल रही है जबकि आगे नई रूई का भाव इसकी मांग एवं आपूर्ति के समीकरण पर निर्भर करेगा।