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बांधों-जलशायों में कम पानी होने से अब मानसूनी बारिश का ही आसरा

प्रकाशित 08/09/2023, 12:04 pm
अपडेटेड 08/09/2023, 12:15 pm
बांधों-जलशायों में कम पानी होने से अब मानसूनी बारिश का ही आसरा

iGrain India - नई दिल्ली । अगस्त के कमजोर मानसून तथा लगभग सूखे के माहौल से न केवल खरीफ फसलों को हानि हुई बल्कि देश के अधिकांश बांधों-जलाशयों में पानी का स्तर भी घटकर काफी नीचे आ गया। अनेक जगह तो यह कुल भंडारण क्षमता से 40 प्रतिशत तक घट गया है।

सितम्बर के आरंभ में अक्सर ऐसा नहीं होता है क्योंकि अगस्त माह में देश में अच्छी बारिश होती रही है। जुलाई के बाद अगस्त को सर्वाधिक वर्षा वाला महीना माना जाता है लेकिन इस बार यह पिछले सौ से अधिक वर्षों में सबसे ज्यादा सूखा एवं गर्म रहा।

बांधों-जलाशयों में पानी का भंडार कम होने से सिंचित इलाकों में भी खरीफ फसलों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध करवाना कठिन हो रहा है।

अब सितम्बर के मानसून पर सबका ध्यान केन्द्रित है। मौसम विभाग के अनुमान के अनुरूप यदि चालू माह के दौरान देश भर में अच्छी वर्षा हुई तो न केवल खरीफ फसलों की हालत में काफी सुधार आ जाएगा बल्कि आगामी रबी फसलों की अगैती बिजाई करने में भी किसानों को अच्छी सहायता मिलेगी। अक्टूबर से अनेक रबी फसलों की बिजाई आरंभ हो जाती है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार दक्षिण-पश्चिम मानसून देश के अनेक भागों में सक्रिय हो गया है और कई राज्यों में अच्छी बारिश होने लगी है। इसमें आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र एवं पूर्वी भारत के कुछ राज्य शामिल है। दिल्ली-एनसीआर में भी बारिश के आसार बने हुए हैं।

आगामी दिनों में देश के अन्य राज्यों में अच्छी बारिश होने की उम्मीद है जिसमें उड़ीसा, छत्तीसगढ़ एवं तेलंगाना जैसे महत्वपूर्ण धान उत्पादक प्रान्त भी शामिल हैं।

बंगाल की खाड़ी में कम दाब का एक क्षेत्र पहले ही निर्मित हो चुका है जबकि मध्य सितम्बर तक एक अन्य कम दाब का क्षेत्र बनने की उम्मीद है जिससे मानसून की सक्रियता आगे भी बरकरार रह सकती है।

अगस्त में बारिश में आई जोरदार (करीब 36 प्रतिशत) गिरावट की पूरी भरपाई तो शायद सितम्बर की वर्षा से नहीं हो पायेगी लेकिन फिर भी खरीफ फसलों को नया जीवनदान मिलने की उम्मीद है।

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