iGrain India - नई दिल्ली । प्रमुख निर्यातक देशों में खाद्य तेलों का दाम कमजोर पड़ने से गत सप्ताह भारतीय बाजार में भी दाम कुछ नरम पड़ गया। समझा जाता है कि विदेशी बाजारों में खाद्य तेलों की मांग कमजोर पड़ गई। पाम तेल का भाव एक समय 943 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया था जो अब गिरकर 890-895 डॉलर प्रति टन पर आ गया है।
इसी तरह सोयाबीन तेल का दाम 1030 डॉलर से घटकर 970 डॉलर प्रति टन रह गया है। व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक सबसे प्रमुख आयातक देश- भारत में जुलाई तथा अगस्त के दौरान खाद्य तेलों का रिकॉर्ड आयात होने के कारण अब भारतीय आयातकों ने विदेशों में इसकी खरीद की गति कुछ धीमी कर दी है जिससे निर्यातक देशों में कीमतों पर दबाव पड़ने लगा है।
उद्योग समीक्षकों के मुताबिक गुजरात के कांडला बंदरगाह पर पिछले करीब दो माह से विदेशी खाद्य तेलों से लदे जहाज खड़े हैं जिसे खाली नहीं किया जा रहा है। इससे आयातकों का खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है क्योंकि उसे डेमरेज शुल्क का भुगतान करना पड़ रहा है।
कुछ जानकारों का कहना है कि लेटर ऑफ क्रेडिट (एलसी) को चलाते रहने के लिए कुछ आयातकों को लागत खर्च से भी कम दाम पर अपने आयातित खाद्य तेल की बिक्री करने के लिए विवश होना पड़ रहा है।
हालांकि त्यौहारी सीजन के दौरान मांग में होने वाली जबरदस्त बढ़ोत्तरी को ध्यान में रखकर अगस्त में खाद्य तेलों का रिकॉर्ड आयात किया गया लेकिन अब इसके खरीदारों की कमी से कीमतों में तेजी की संभावना क्षीण पड़ गई है।
व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक यद्यपि खाद्य तेलों के थोक बाजार भाव में कुछ नरमी आई है लेकिन उच्चतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) काफी ऊंचा होने से आम उपभोक्ताओं को इसका कोई विशेष फायदा नहीं मिल रहा है।
सरकार एवं खाद्य तेल संगठनों को इस दिशा में समेकित प्रयास करना चाहिए। मोटे अनुमान के अनुसार खाद्य तेल के थोक एवं खुदरा मूल्य में 30-40 रुपए तक का भारी अंतर बना हुआ है जिसे घटाए जाने की आवश्यकता है।