iGrain India - नई दिल्ली । अगस्त में दक्षिण-पश्चिम मानसून की बारिश बहुत कम होने तथा तापमान ऊंचा रहने से देश के प्रमुख बांधों एवं जलाशयों में पानी का स्तर घटकर काफी नीचे आ गया है।
हालांकि सितम्बर की बारिश से राष्ट्रीय स्तर पर सामान्य औसत के मुकाबले वर्षा की कुल कमी घटकर अब 11 प्रतिशत पर आ गई है लेकिन देश के 150 प्रमुख बांधों- जलाशयों में पानी का भंडार अब भी 10 वर्षीय औसत से काफी नीचे है।
केन्द्रीय जल आयोग के आंकड़ों से पता चलता है कि बांधों-जलाशयों में 6 सितम्बर तक केवल 111.737 बिलियन क्यूसिक मीटर (बीसीएम) पानी का भंडार मौजूद था जो उसकी सकल भंडारण क्षमता का लगभग 62 प्रतिशत है।
पिछले साल की समान अवधि में उसमें 150.851 बीसीएम पानी जा भंडार था जबकि इसका 10 वर्षीय औसत भंडार 129.591 बीसीएम आंका गया है। इस तरह इन 150 बांधों-जलाशयों में पानी का भंडार गत वर्ष की तुलना में 74 प्रतिशत तथा दस वर्षीय औसत की तुलना में 86 प्रतिशत ही है।
केन्द्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) की बुलेटिन के मुताबिक इन 150 बांधों- जलाशयों में से 27 में पानी का भंडार सामान्य स्तर के 50 प्रतिशत से भी कम है।
पेन्नार तथा महानदी एवं पेन्नार के बीच पूरब की ओर बहने वाली नदियों में पानी का भारी अभाव देखा जा रहा है जबकि सुबर्ण रेखा, ब्राह्मणी, कावेरी, माही एवं कृष्णा तथा तादरी से कन्याकुमारी के बीच पश्चिम दिशा की ओर बहने वाली नदियों में भी पानी की कमी देखी जा रही है।
बिहार के बांधों-जलाशयों में सामान्य स्तर से 82 प्रतिशत कम पानी बचा है जबकि आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना में इसकी कमी 62 प्रतिशत है। इसके अलावा जिन राज्यों में पानी का भंडार सामान्य स्तर से नीचे है उसमें केरल (48%), तमिलनाडु (55%), पश्चिम बंगाल (46%), उड़ीसा (32%), उत्तर प्रदेश (42%) तथा झारखंड (26%) शामिल हैं।
यदि सितम्बर में जोरदार बारिश नहीं हुई तो इन राज्यों में रबी फसलों की खेती प्रभावित हो सकती है जबकि खरीफ फसलों की सिंचाई के लिए भी पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं हो सकेगा।